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मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार ने फिर उठाया सिर, सीतामढ़ी का एक बच्चा SKMCH में भर्ती

मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार का एक और नया मामला सामने आया है. सीतामढ़ी के एक बच्चे में एईएस (AES) की पुष्टि हुई है. बच्ची को एसकेएमसीएच (SKMCH) के पीकू वार्ड में भर्ती कराया गया है.

मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार ने फिर उठाया सिर
मुजफ्फरपुर में चमकी बुखार ने फिर उठाया सिर

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Published : Sep 19, 2021, 2:32 AM IST

मुजप्फरपुर: बिहार में वायरल फीवर(Viral Fever) के कहर बीच एक बार फिर चमकी बुखार(Chamki Fever In Muzaffarpur ) का मामला थम नहीं रहा है. सितंबर महीने में भी चमकी बुखार से जुड़े मामलों में तेजी दिख रही है. सीतामढ़ी के एक बच्चे में एईएस की पुष्टि की गई है.

वायरल फीवर के जारी कहर के बीच फिर जिले में चमकी बुखार का मामला सामने आया है. सीतामढ़ी के डुमरा के रहनेवाले एक 15 वर्षीय बच्चे में चमकी बुखार को पुष्टि हुई है. इसके साथ ही चमकी बुखार का आंकड़ा बढ़कर 76 हो गया है. बच्चे को गंभीर हालत में एकेएमसीएच के पीकू वार्ड में भर्ती कराया गया है. जहां चिकित्सकों की देखरेख में उसका इलाज चल रहा है.

मौसम के बदले मिजाज के बीच यह पहला मौका है. जब सितंबर में भी चमकी बुखार से जुड़े मामले लगातार सामने आ रहे है. सितंबर महीने में चमकी बुखार से जुड़े कुल चार मामले सामने आ चुके है. आज एक बच्चे में AES की पुष्टि एसकेएमसीएच के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर सहनी ने की है.

वहीं, अबतक 14 बच्चों की इलाज के दौरान SKMCH में मौत भी हो चुकी है. अभी भी चमकी बुखार से जुड़े मामले के सामने आने से जिला प्रशासन और एसकेएमसीएच प्रशासन अलर्ट मोड पर है. बता दें कि चमकी बुखार में अक्सर रात के तीसरे पहर और सुबह तेज बुखार का अटैक आता है.

यह सावधानियां बरतें

चिकित्सकों के अनुसार ये बीमारी उन बच्चों पर ज्यादा प्रभावी होती है जिनका ग्लूकोज लेवल कम रहता है. यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग ने एईएस प्रभावित इलाकों में बच्चों को सही न्यूट्रीशन देने को कहा है. चमकी बुखार से बच्चों की जान बचाने के लिए समय पर इलाज जरूरी है.

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तेज बुखार, शरीर में ऐंठन, बेहोशी और जबड़े कड़े होना चमकी बुखार के मुख्य लक्षण हैं. बच्चे में अगर ये लक्षण दिखें तो उसे जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना चाहिए. चमकी बुखार से पीड़ित बच्चे को पानी और ओआरएस का घोल पिलाते रहना चाहिए. तेज बुखार हो तो शरीर को ताजे पानी से पोछना चाहिए. माथे पर गीले कपड़े की पट्टी लगानी चाहिए और डॉक्टर की सलाह के बाद ही दवा या अन्य सीरप देना चाहिए.

बता दें कि मुजफ्फरपुर में दिमागी बुखार का पहला मामला 1995 में सामने आया था. वहीं, पूर्वी यूपी में भी ऐसे मामले अक्सर सामने आते रहते हैं. इस बीमारी के फैलने का कोई खास पैमाना तो नहीं है, लेकिन अत्यधिक गर्मी और बारिश की कमी के कारण अक्सर ऐसे मामले में बढ़ोतरी देखी गई है.

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