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SKMCH के पीकू वार्ड में चमकी से पीड़ित बच्चों को मिलने लगी विश्वस्तरीय चिकित्सीय सुविधाएं

डॉ. गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि चमकी बुखार से निपटने के लिए अत्याधुनिक पीकू वार्ड के रूप में बड़ा आधुनिक और कारगर हथियार मिला है. जो चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के मृत्यु दर को कम करने में मददगार साबित होगा.

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Published : Jun 9, 2020, 7:31 AM IST

मुजफ्फरपुरः बिहार में हर साल एईएस से कई बच्चों की मौत हो जाती है. बच्चों पर कहर बनकर टूटने वाली एईएस यानी चमकी बुखार से लड़ाई का परिदृश्य अब पूरी तरह बदल गया है. जिले के एसकेएमसीएच में वर्ल्ड क्लास सुविधाओं से लैस शिशु गहन चिकित्सा इकाई की शुरुआत से अब बच्चों को बेहतर और विश्वस्तरीय चिकित्सीय सुविधाएं मिलने लगी है.

तेजी से बच्चों को प्रभावित करता है एईएस
अस्पताल के शिशु रोग विभागाध्यक्ष डॉ. गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस बहुत तेजी से बच्चों को प्रभावित करता है. ऐसे में समय पर अस्पताल पहुंचने के साथ इलाज में आधुनिक चिकित्सीय उपकरणों खास कर वेंटिलेटर की सख्त जरूरत होती है.

देखें रिपोर्ट

102 बेड वाला शिशु गहन चिकित्सा इकाई
डॉ. गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि चमकी बुखार से निपटने के लिए अत्याधुनिक पीकू वार्ड के रूप में बड़ा आधुनिक और कारगर हथियार मिला है. जो चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों के मृत्यु दर को कम करने में मददगार साबित होगा. यह देश का पहला और सबसे बड़े 102 बेड वाला शिशु गहन चिकित्सा इकाई है.

शिशु गहन चिकित्सा इकाई

चमकी बुखार के 40 मामले आए सामने
गौरतलब है कि जिले में हर साल चमकी बुखार के सैकड़ों मामले आते हैं. इसमें बच्चों के खून में शुगर की मात्रा एकाएक कम हो जाती है और इससे मरीज की हालत गंभीर हो जाती है. इसमें तेज फीवर और शरीर मे ऐंठन जैसे लक्षण दिखाई देते हैं. हालांकि बीमारी के कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है. इस साल चमकी बुखार के 40 मामले सामने आए हैं.

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