मुंगेर: जिले के विभिन्न बैंकों के सहयोग से जीविका द्वारा संपोषित स्वयं सहायता समूहों के वित्तीय समावेशन कार्यक्रम मुंगेर आर्ट गैलरी सभागार में आयोजित किया गया. इस दौरान 1301 स्वयं सहायता समूहों के बीच 29 करोड़ 80 लाख 50 हजार की राशि का वितरण किया गया.
समय से ऋण हो रहा है वापस
उप विकास आयुक्त ने कहा कि कार्यक्रम से जुड़े स्वयं सहायता समूह की महिलाएं बैंक से ऋण प्राप्त कर रही है. कामकर वह अपने परिवार की समस्त आर्थिक ज़िम्मेवरियों का सफलतापूर्वक निर्वहन कर रही हैं. उन्होंने कहा कि एक गंभीर ऋण प्राप्तकर्ता के रूप में समय पर ऋण वापसी भी कर रही हैं. जिससे बैंकिंग संस्थाओं का विश्वास जीविका दीदियों एवं जीविका संस्था के ऊपर बढ़ा है.
जीविका कार्यक्रम से हो रहा उत्थान
आज इस कार्यक्रम के अंतर्गत जिले के विभिन्न बैंक के माध्यम से जीविका द्वारा संपोषित कुल 1301 स्वयं सहायता समूहों का 29.80 करोड़ का वित्तीय समावेशन का मैं हार्दिक स्वागत करता हूँ. उन्होंने बताया कि जीविका परियोजना का प्रारम्भ वर्ष 2007 में बिहार के कुछ जिलों मेंं पाइलट प्रोजेक्ट के रूप में हुआ था. ग्रामीण क्षेत्र की माताओं एवं बहनों के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के कारण इस परियोजना ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है. आज जीविका कार्यक्रम के माध्यम से बिहार के सभी 38 जिलों के निर्धन परिवारों के आर्थिक एवं सामाजिक उत्थान की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन कर रही हैं.
हर दिन नया इतिहास बना रही हैं जीविका दीदियां
जिला परियोजना प्रबंधक रितेश कुमार ने जिले में जीविका की गतिविधियों को रेखांकित करते हुए कहा कि कई प्रखंड संतृप्त होने की स्थिति तक पहुंच चुके हैं. वहां अब जीविका दीदियों को आजीविका की गतिविधियों से जोड़ा जा रहा है. रोजगार के अवसर की बात हो या सामाजिक कुरीतियों से लड़ने की बात जीविका की दीदियां हमेशा से आगे बढ़कर लक्ष्य हासिल किया है. महिला सशक्तिकरण की दिशा में जीविका दीदियों के योगदान पर कहा कि जीविका दीदियां परिवर्त्तन का हर दिन नया इतिहास बना रही हैं.
ये भी पढ़ें- सरकारी स्कूल के बच्चों को जीविका दीदी पहनाएंगी ड्रेस, विपक्ष ने कहा- घोटाले की हो रही तैयारी
"जिले में गरीबी उन्मूलन के लिए जीविका द्वारा किये जा रहे प्रयासों की सराहना की. उन्होंने बताया कि जीविका द्वारा निर्मित स्वयं सहायता समूह की दीदियाा पूरी तरह वित्तीय अनुशासन का पालन करती हैं. जिसके वजह से बैंकों द्वारा समूहों को मिलने वाला ऋण एनपीए नहीं होता." -संजीव कुमारडीडीएम, नाबार्ड
"जीविका की दीदियां बैंकों की सबसे विश्वसनीय ग्राहक हैं. आज जीविका दीदियां अपने बलबूते बदलाव का इतिहास रच रही हैं. उन्होंने जीविका के अधिकारियों एवं जीविका दीदियों को आश्वस्त किया कि बैंक हर कदम पर आपके साथ है और बिहार के बदलाव में जिले के सभी बैंक हर समय आपके साथ रहेंगे." -अमिताभ प्रमाणिक, प्रबंधक, जिला अग्रणी बैंक