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मधुबनी जज हमला: आरोपी दोनों पुलिस अधिकारी झंझारपुर उपकारा से रिहा, पटना हाईकोर्ट से मिली थी बेल

पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) से जमानत मिलने के बाद झंझारपुर उपकारा (Jhanjharpur Sub-Jail) से मधुबनी जज हमला मामले के दोनों पुलिस अधिकारी रिहा हो गए हैं. 29 जून को ही कोर्ट से दोनों को बेल मिली थी. पढ़ें पूरी खबर..

Madhubani judge attack case
Madhubani judge attack case

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Published : Jul 4, 2022, 4:56 PM IST

मधुबनी:बिहार के मधुबनी जिले के झंझारपुर व्‍यवहार न्‍यायालय के एडीजे अविनाश कुमार(ADJ Avinash Kumar) के साथ मारपीट के मामले (Madhubani Judge Attack Case) में अभियुक्त घोराडीह के एसएचओ गोपाल कृष्णा और एएसआई अभिमन्यु शर्मा की आज झंझारपुर उपकारा से रिहाई हो गई है. दरअसल 29 जून को पटना हाईकोर्ट ने दोनों को जमानत (Accused Of Attack On Madhubani Judge Released) दे दी थी.

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मधुबनी जज हमला मामले के आरोपी रिहा: बता दें कि झंझारपुर के एडीजे ने अभियुक्तों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी कि दिनांक 18.11.2021 को दोपहर के करीब 2 बजे उक्त दोनों पुलिस वाले उनके चेम्बर में जबरदस्ती घुस आए. उनके साथ मारपीट और बदसलूकी की और एएसआई अभिमन्यु शर्मा ने उन्हें लोडेड रिवॉल्वर दिखा कर जान से मारने की धमकी दी थी. उसी समय से दोनों अभियुक्त जेल मे बंद थे. अभियुक्त के वकील ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय ने 3 शर्तों पर जमानत दी है. प्रत्येक तारीख को उन्हें सशरीर कोर्ट में उपस्थित होना होगा,जांच में सहयोग करना है और दोबारा ऐसी घटना नहीं करने के शर्त पर जमानत दी गई है.

"पटना हाईकोर्ट से बेल मिली है. कुछ शर्तों के साथ जमानत दी गई है. हर तारीख पर दोनों को सशरीर कोर्ट में उपस्थित होना है. गोपाल कृष्णा और अभिमन्यु शर्मा की रिहाई हो गई है. न्यायालय पर हमारा संपूर्ण विश्वास है. जमानत मिलने में काफी वक्त लग गया. सही जांच और न्याय की उम्मीद है. यह पुलिस और न्यायपालिका की लड़ाई नहीं है."-राज कुमार झा, अभियुक्त के वकील

पटना हाईकोर्ट से मिली थी जमानत: 29 जून को याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता वसंत कुमार चौधरी ने पटना हाईकोर्ट को बताया था कि याचिकाकर्ताओं के खिलाफ आईपीसी की धारा 341,323,506/34 एवं आर्म्स एक्ट की धारा 30 के तहत चार्जशीट दायर की गई है. इनमें सारी धाराएं जमानती हैं और याचिकाकर्ता 10.12.2021 से हिरासत में हैं. वकील ने कहा था कि याचिकाकर्ताओं को जेल में बंद रखना संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन होगा. इस पर कोर्ट ने सीआईडी द्वारा दायर हलफनामे के आधार पर याचिकाकर्ताओं की जमानत याचिका को स्वीकृति दे दी थी.


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