मधेपुरा:बिहार सरकार का दावा है कि इमरजेंसी में 102 पर डायल करें तो कुछ ही देर में एम्बुलेंसपहुंच जाएगी, लेकिन हकीकत यह है कि गरीबों के लिए आज भी एम्बुलेंस पहुंच से बाहर की सुविधा है. आज भी ठेला, रिक्शा, चारपाई और आदमी का कंधा गरीबों के लिए एम्बुलेंस का काम कर रहे हैं. बुधवार को इसकी एक और बानगी दिखी.
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102 पर किया फोन, न आई एम्बुलेंस
मधेपुरा प्रखंड के राजपुर गांव के 65 वर्षीय शिबू पासवान की 60 वर्षीय पत्नी नीलम देवी की तबीयत अचानक खराब हो गई थी. तेज बुखार, उल्टी और दस्त की समस्या के चलते स्थिति गंभीर थी. उन्हें जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना जरूरी था. शिबू पासवान ने एम्बुलेंस के लिए कई बार 102 पर फोन किया, लेकिन एम्बुलेंस नहीं आई. इसके बाद उन्होंने सदर अस्पताल के संबंधित अधिकारी को फोन किया, लेकिन कोई फायदा न हुआ.
ठेला पर सुलाकर ले गए अस्पताल
शिबू पासवान ने स्थानीय स्तर पर भी लोगों से मदद मांगी, लेकिन मदद नहीं मिली. थक हारकर वह अपने ठेला पर ही अपनी पत्नी को सुलाकर गांव से करीब 7 किलोमीटर दूर सदर अस्पताल पहुंचे. रोगी को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किया गया. समय से इलाज मिलने के चलते नीलम देवी की जान बच गई.
अस्पताल उपाध्यक्ष की सफाई रोगी के परिजन ने नहीं किया इंतजार
सदर अस्पताल के उपाध्यक्ष डॉ डीपी गुप्ता का दावा है कि एम्बुलेंस के लिए 102 पर फोन किए जाने पर तुरंत एम्बुलेंस बताए गए जगह पर पहुंच जाती है.
"रोगी की गंभीरता को देखते हुए परिजन ने एम्बुलेंस का इंतजार नहीं किया और ठेला से ही रोगी को लेकर सदर अस्पताल चले आए. रोगी का समुचित इलाज किया गया. रोगी ठीक होकर घर चली गई."- डॉ डीपी गुप्ता, उपाध्यक्ष सदर अस्पताल, मधेपुरा
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