लखीसराय: लंबे समय से जिले के लोग जाम की समस्या से जूझ रहे हैं. इससे निजात के लिए स्थानीय लोगों ने जनप्रतिनिधि, विधायक, सांसद सहित अन्य बड़े नेताओं को आवेदन दिया. आजादी के बाद से 2 दर्जन से अधिक सांसदों ने बाईपास बनाने के मुद्दे पर वोट तो ले लिया. लेकिन, किसी ने सड़क निर्माण करने की जहमत नहीं उठाई.
अब जब विधानसभा चुनाव नजदीक हैं तब पुनः बिहार सरकार की आंखें खुली हैं. लखीसराय बाईपास सड़क के निर्माण कार्य में तेजी लाने के लिए स्थानीय प्रशासन को निर्देश जारी किया गया है. लेकिन, धरातल पर निर्माण कार्य जस का तस पड़ा हुआ है.
क्या है मामला
लखीसराय के लंबित ड्रीम प्रोजेक्ट बाईपास सड़क के निर्माण के लिए सरकार ने अंतिम डेट दी है. गौरतलब है कि यह छठी बार है जब डेडलाइन दी गई है. सरकार के पथ निर्माण विभाग के प्रधान सचिव ने बाईपास निर्माण कर रही एजेंसी को विधानसभा चुनाव होने के पहले पूरा कर देने का निर्देश दिया है. लगभग 07 किलोमीटर के लंबे बाईपास सड़क का निर्माण कार्य धीमी गति से जारी है. हालांकि योजना के तहत बाईपास रोड में क्यूल-गया और क्यूल-मोकामा रेलखंड में दो जगह पर आरओबी का निर्माण होना है.
25 साल बाद भी बाईपास सड़क एक सपना
122,28 करोड़ की लागत से बाईपास सड़क के निर्माण कार्य का शिलान्यास मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 22 मई 2013 को किया था. उस समय उन्होंने कहा था कि अंतिम तिथि 1 मई 2015 है. उस दिन तक उद्घाटन कर दिया जाएगा. लेकिन, निर्माण कार्य में धीमी रफ्तार, जमीन अधिग्रहण आदि कारणों से उद्घाटन नहीं हो सका.