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Published : Sep 1, 2021, 12:21 AM IST

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गोपालगंज की चुनिया-मुनिया को है CM नीतीश का इंतजार, मदद के लिए टकटकी लगा देख रही राह

वाल्मीकिनगर बराज से लाखों क्यूसेक पानी छोड़े जाने के बाद सदर प्रखंड के साथ ही कई प्रखंडों में बाढ़ का आलम है. दियारा इलाके में रहने वाले लोग जान हथेली पर रखकर जिंदगी जी रहे हैं. पढ़ें रिपोर्ट....

चुनिया-मुनिया
चुनिया-मुनिया

गोपालगंज: बिहार के 26 जिले बाढ़ की चपेट (Flood In Bihar) में है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) लगातार बाढ़ प्रभावित इलाकों का सड़क और हवाई मार्ग से दौरा कर रहे हैं. हालात पर नजर बनाए हुए हैं. बाढ़ प्रभावित इलाकों में राहत कार्य मुहैया करवाई जा रही है, लेकिन गोपालगंज की चुनिया-मुनिया टकटकी लगाकर मदद की राह जोह रही है.

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मन को झकझोर देने वाली और प्रशासन को कटघरे में खड़ा करने के लिए गोपालगंज की चुनिया-मुनिया की आसमान को निहारते ये तस्वीर काफी है. बाढ़ के आपदा के बीच परिवार के साथ घिरे ये मासूम शायद इस उम्मीद में आसमान में नजरें गड़ाए हुए है, जैसे उड़नखटोला से नीतीश बाबू ऐसे गुजरेंगे और उनकी नजर इस परिवार पर पड़ जाए. फिर सबकुछ ठीक हो जाए शायद. लेकिन काश!

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जिले के सदर प्रखण्ड के अलावे विभिन्न प्रखण्ड के दियारा में रहने वाले लोग बाढ़ की विभीषिका झेल रहे हैं. वाल्मीकिनगर बराज से छोड़े गए 4 लाख 7 हजार क्यूसेक पानी ने दियारा वासियों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है.

जिले में गंडक नदी उफान पर है. 6 प्रखंडों के नीचले इलाकों में रहने वाले लोगों के घरों में बाढ़ का पानी घुस चुके हैं. लोग पलायन करने को मजबूर हैं. जिन्हें सुरक्षित स्थानों पर जाना संभव था, वो तो चले गए लेकिन जो लाचारी के कारण नहीं जा सकते वे अब भी बाढ़ के बीच ही अपनी जिंदगी गुजार रहे हैं.

सदर प्रखण्ड के कटघरवा पंचायत के खाप मकसूदपुर गांव के लोग बाढ़ के बीच अपने-अपने घरों में कैद हैं. लोगों ने बाढ़ के बीच जिंदगी काटने का साधन बांस के चचरी को बनाया है. चचरी पर ही रहना, खाना सब है. यहां तक कि लोग मजबूरी में चचरी पर ही खाना भी बना रहे हैं. बदहाली में जिंदगी काट रहे बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि सामुदायिक रसोई का प्रबंध तो किया गया लेकिन जो बांध पर हैं उन लोगों के लिए. उन्हें कोई सुविधा नहीं मिल रही है.

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वहीं बाढ़ से घिरे लोगों ने बताया कि वे हर पल जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं. बाढ़ के पानी में सांप सहित अन्य जहरीले जीव का भी डर लगा रहता है. लोगों का कहना है कि इससे पहले आई बाढ़ में ही उनकी जिंदगी तबाह हो गई थी, लेकिन इस बार की बाढ़ ने रही सही कसर पूरी कर दी.

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