गोपालगंजःबिहार के गोपालगंजजिले के थावे प्रखंड के शुकुलवा खुर्द गांव के एक किसान बचपन से ही पढ़-लिखकर ऑफिसर बनने का सपना देखते थे, लेकिन आर्थिक परेशानी के कारण उनकी पढ़ाई नहीं हो सकी जिसके कारण वे ऑफिसर नहीं बन सके, नन मैट्रिक तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद पिता के हाथों को मजबूत करने में लगे और दोबारा पीछे मुड़ कर नहीं देखा. आज वो केले की खेतीसे सालाना 16 लाख की कमाई कर रहे हैं.
केले की खेती से लखपति बने किसानः दरअसल हम बात कर रहे है थावे प्रखंड के शुकुलवा खुर्द गांव निवासी स्व चंद्र प्रकाश सिंह के 65 वर्षीय बेटा विनोद सिंह की. विनोद जिले के एक ऐसे किसान है, जिन्होंने दस एकड़ में समेकित खेती की है, जबकि 6 एकड़ में उन्होंने केला की खेती कर जिले के सफल किसान बने हैं. कठिन परिश्रम और लगन के बदौलत सामेकित खेती के आलावे केला की खेती कर के यह सिद्ध कर दिया की अन्न दाता चाहे तो कुछ भी कर सकता है.
बचपन से ऑफिसर बनने का था सपनाः ईटीवी भारत से खास बातचीत में विनोद अपने पुराने दिनों को याद कर कहते हुए कहा कि उनकी यह इच्छा थी की अच्छी तरह से पढ़ाई लिखाई कर के कोई बड़ा अधिकारी बनुगां और समाज सेवा में योगदान दूंगा, लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. मेरी सोच सोच ही रह गई. ना ही मैं अच्छी तरह से पढ़ाई कर सका और ना ही ऑफिसर बनने का सपना ही पूरा कर सका, लेकिन हार नहीं मानी और पिता द्वारा शुरू की गई खेती को आगे बढ़ाता रहा.
पिता करते थे छोटे पैमाने पर खेतीः किसान विनोद ने बताया कि तीन भाई और एक बहन में वो सबसे बड़े हैं. पिता जी द्वारा की जा रही छोटे पैमाने पर खेती से ही कुछ आमदनी होती तो परिवार का भरण पोषण होता था. तब आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. उस वक्त विनोद की उम्र 15 से 16 वर्ष की थी. इसी बीच वर्ष 1972 में पिता की तबियत खराब हो गई. दो वर्षो के बाद 1974 में उनका देहांत हो गया. 16 वर्ष में पिता का साया सिर से उठ गया और घर के बड़ा सदस्य होने के नाते सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई.
"दो भाईयों और एक बहन की पढ़ाई लिखाई भरण पोषण की जिम्मा उठाते हुए खेती करने में लग गए. अब एक ही उद्देश्य था कि खेती से ही जो होगा उसे किया जाएगा. कई लोगों ने विदेश जाने या अन्य राज्यों में नौकरी करने की सलाह दी, लेकिन किसी की बाते नहीं सुनी और खेती में ही रम बस गए. खेती के बारे में और अधिक जानकारी हासिल करने के लिए कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ उठाया"-विनोद सिंह, किसान
'शुरूआत में खेती में ज्यादा सफल नहीं हुए': विनोद बताते हैं कि शुरू-शुरू में वो खेती में ज्यादा सफल नहीं हुए. लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. उन्होंने खेती के बारे में और अधिक जानकारी हासिल करने के लिए कृषि विभाग की योजनाओं का लाभ उठाया. साथ ही, उन्होंने अन्य किसानों से भी सलाह ली. धीरे-धीरे विनोद की मेहनत रंग लाने लगी. उन्होंने केला की खेती शुरू की और इसके लिए आधुनिक तकनीक का उपयोग किया. साथ ही, उन्होंने केला की खेती के लिए बाजार की भी अच्छी जानकारी हासिल की.