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सरकारी लापरवाही से किसानों को नहीं मिल रहा अनुदानित बीज, बाजारों से महंगा खरीदने को मजबूर

विभिन्न प्रखंडों के लगभग 60 प्रतिशत किसान बाजार से महंगे दामों पर बीज खरीदकर बुआई कर चुके हैं, जिससे कृषि विभाग की लापरवाही साफ दिखाई देती है.

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Published : Jul 6, 2019, 12:14 PM IST

गोपालगंज: कृषि विभाग की लापरवाही के कारण खरीफ के मौसम में किसानों को अनुदानित दर पर मिलने वाला बीज नसीब नहीं हो रहा है, जिसके कारण किसान खुले बाजार से महंगे दामों पर बाजारों से बीज खरीदकर खेती करने को बाध्य हैं. किसानों को अनुदानित दर पर धान का बीज उपलब्ध कराने की योजना फेल होती नजर आ रही है. एक तरफ मौसम की मार तो दूसरी ओर विभाग के मनमर्जी के बीच किसान परेशान नजर आ रहा है.

कृषि विभाग की लापरवाही

अब तक जिले के विभिन्न प्रखंडों के लगभग 60 प्रतिशत किसान बाजार से महंगे दामों पर बीज खरीदकर बुआई कर चुके हैं, जिससे कृषि विभाग की लापरवाही साफ दिखाई देती है. एक तरफ जहां विभाग द्वारा खरीफ महोत्सव का आयोजन कर फसलों की उन्नत पैदावार और पंचायतवार किसान चौपाल आयोजित कर विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी जा रही है, वहीं, दूसरी ओर विभाग द्वारा सरकार की योजना के तहत किसानों को उन्नत बीज उपलब्ध कराया हीं नहीं जा रहा है.

बाजारों से लिया जा रहा मंहगा बीज

'बीज उपलब्ध कराने में थोड़ी विलंब हुई'

कृषि पदाधिकारी वेद नारायण का कहना है कि बीज उपलब्ध कराने में पहले थोड़ी विलंब हुई थी, लेकिन अब प्रखंडों में बीज मुहैया कराया जा रहा है. 'पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर बीज दिया जा रहा है. जो किसान पहले आएगा, उसे पहले बीज मुहैया कराया जाएगा.

2022 तक आमदनी दोगुनी करने का वादा

जिले के कई किसानों ने कहा कि विभाग वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का दावा कर रही है, लेकिन यदि ऐसी स्थिति रही तो उनकी आमदनी दोगुनी कैसे हो सकती है. एक तरफ मानसून की बेरुखी तो दूसरी तरफ बीज उपलब्ध नहीं होने से किसानों में दोहरी मार पड़ रही है.

अनुदानित बीज नहीं मिलने पर किसान परेशान

समय खत्म होने के बाद कौन खरीदेगा बीज

किसानों की मानें तो बिचड़ा तैयार करने की अवधि समाप्ति के बाद विभाग बीज उपलब्ध कराएगा तो कौन उसे खरीदेगा. सिर्फ पंचदेवरी प्रखण्ड में श्री विधि से 54 एकड़ सुखा रोधी से 18 एकड़, जीरो टिलेज से 8 एकड़ व मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना 400 किसानों को बीज उपलब्ध कराने का लक्ष्य विभागीय स्तर पर निर्धारित किया गया था, जिसमें विभाग द्वारा अभी तक कुछ नहीं मिला है.

अनुदान राशि के लिए भी वर्षों भटकना पड़ता है

बीज खरीद लेने के बाद अनुदान की राशि के लिए भी वर्षो भटकना पड़ता है. वहीं, कुछ ऐसे किसान है जो मजबूरन मक्के की खेती कर रहे है, तो कुछ ने खेतों को युहीं परती छोड़ दिया है, जबकि कुछ किसान दूसरों के खेतों को बटैया पर लेकर महंगे दामों पर खेती कर रहे हैं.

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