गया: टिकारी शहर में भगवान शिव का एक ऐसा अनोखा मन्दिर है, जहां पूजा करने से लोगों की मृत्यु हो जाया करती थी. जिसके कारण इस मंदिर में लोग पूजा-अर्चना बंद कर दिए थे. मन्दिर धीरे-धीरे महज एक ढांचा बनकर रह गया था. अद्धभुत नागर शैली में निर्मित इस मंदिर की गर्भ गृह में स्थापित अर्द्धनारेश्वर के रूप में स्थापित शिवलिंग और मन्दिर की चोटी पर स्थापित त्रिशूल अपने आप में अलौकिक है. क्षेत्र के युवाओं की पहल से मन्दिर के अस्तित्व को बचाया ही नहीं गया, बल्कि वर्तमान में मन्दिर में पूरे धूम-धाम से पूजा अर्चना शुरू हो चुका है. आज शिवरात्रि के अवसर पर मन्दिर में श्रद्धालुओं के माध्यम से विशेष पूजा पाठ और विवाहोत्सव कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा.
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प्राचीन काल में मंदिर का निर्माण
दरअसल, नागर शैली में प्राचीन काल में ही मंदिर निर्मित हुआ था. मंदिर कब बना, इसकी वास्तविकता तो किसी को ज्ञात नहीं. लेकिन क्षेत्र के बुजुर्ग बताते हैं कि मन्दिर प्राचीन काल से ही है. दशकों पूर्व इस मंदिर में बाहर से साधु संत पूजा अर्चना करने आते थे. साधु-संतों के अनुसार, यह मंदिरनागर शैली में निर्मित है और अर्द्धनारेश्वर की शिवलिंग सभी मंदिरों में नहीं पाई जाती है. मन्दिर की चोटी पर स्थापित त्रिशूल भी अन्य मंदिरों की तुलना में विपरीत दिशा में स्थापित है.