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Gaya Pitru Paksha Mela के 16वें दिन वैतरणी स्नान, गोदान और तर्पण का विधान, 21 कुल का होता है उद्धार

विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला (Pitru Paksha Mela 2023) अब समाप्ति की ओर बढ़ गया है. 17 दिनों तक चलने वाले इस विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले का आज 16 वां दिन है. 16 वें दिन यानी कि आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को वैतरणी स्नान, गोदान और तर्पण का कर्मकांड किया जाता है. पढ़ें पूरी खबर..

गया पितृपक्ष मेला
गया पितृपक्ष मेला

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Oct 13, 2023, 5:55 AM IST

गया :पितृपक्षके 16वें दिन गोदान और तर्पण का कर्मकांड होता है. मान्यता है कि इससे पितरों को जहां मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं, 21 कुल का उद्धार हो जाता है.गया जी तीर्थ के दक्षिण फाटक के दक्षिण मंगला गौरी के पास वैतरणी सरोवर स्थित है. इस सरोवर को गौ के साथ पार करने की परंपरा रही है. वहीं, गोदान की भी परंपरा है. वर्तमान में तीर्थ यात्री यहां गोदान करते हैं और गौ माता की पूंछ पकड़कर ब्राह्मण को दान किए जाने से पिंडदानी अपने पितरों को वैतरणी पार कराकर स्वर्ग लोक पहुंचाने का मार्ग खोल देते हैं.

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आज होता है वैतरणी स्नान, गोदान और तर्पण का कर्मकांड : त्रिपाक्षिक यानी 17 दिनों का श्राद्ध करने को गया जी पहुंचने वालों के लिए आश्विन कृष्ण चतुर्दशी की तिथि को वैतरणी स्नान, गोदान और और तर्पण के कर्मकांड का विधान है. आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को तीर्थ यात्रियों द्वारा किए जाने वाले पितरों के निमित कर्मकांड से पितरों के स्वर्ग लोक जाने का रास्ता खुल जाता है. वैतरणी सरोवर पर पितरों के निमित गोदान किया जाता है, ताकि उन्हें मोक्ष की प्राप्ति हो सके.

ब्रह्मा जी ने वैतरणी को अवतरित कराया था : धर्म पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी ने गया जी में वैतरणी को पितरों को उतारने के लिए यमलोक से अवतरित करवाया था. वहीं, वैतरणी में गाय की पूंछ पकड़ कर वैतरणी सरोवर को पार करने अथवा गोदान करने की परंपरा रही है. इससे मान्यता है, कि यमलोक से अवतरित पितर को स्वर्ग की प्राप्ति होती है.

21 कुल का हो जाता है उद्धार :वैतरणी में स्नान, गोदान और तर्पण के कर्मकांड से पितरों को जहां मोक्ष की प्राप्ति होती है. वहीं, 21 कुल का उद्धार भी हो जाता है. वैतरणी सरोवर पर गोदान, तर्पण के बाद तीर्थयात्री-पिंडदानी मार्कंडेय महादेव मंदिर में जाकर भगवान भोले के शिवलिंग का दर्शन एवं पूजन करते हैं. इस तरह पितृपक्ष मेले के 16 वें दिन आश्विन कृष्ण चतुर्दशी को वैतरणी में स्नान, गोदान और तर्पण का कर्मकांड करना चाहिए.

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