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गया: पूर्व DGP के संस्थान में पढ़कर आईआईटीयन बन रहे हैं नक्सल प्रभावित इलाके के छात्र

गया में गरीब छात्रों को पूर्व डीजीपी अभयानंद के मगध सुपर 30 में निःशुल्क पढ़ाया जाता है. यहां वर्तमान में दर्जनों छात्र नक्सल इलाके से आकर तैयारी कर रहे हैं.

मगध सुपर 30

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Published : May 9, 2019, 8:33 PM IST

गया: एक दौर में गया की गिनती प्रदेश के नक्सल इलाकों की में होती थी. अब दौर बदल चुका है, नक्सली इलाकों से छात्र पूर्व डीजीपी अभयानंद के संस्थान से पढ़कर अपने इलाके का नाम रौशन कर रहे हैं. गया शहर के दुर्गाबाड़ी में स्थित मगध सुपर 30 में 25 छात्रों ने जेईई-मेन प्रवेश परीक्षा दिया था, जिसमें 24 छात्रों ने क्वालीफाई किया है.

मगध क्षेत्र के गया और औरंगाबाद क्षेत्र नक्सली और नक्सली घटनाओं के लिए जाना जाता था. 2019 के 4g के युग में नक्सली इलाकों के छात्रों में आईआईटी और एनआईटी कॉलेज में प्रवेश करने के लिए ललक बढ़ा है. गोली की जगह अब बच्चों में माउस की बात होती है. अब आदर्श नक्सली कमांडो नहीं इस क्षेत्र का आईआईटीयन होता है. इस क्षेत्र के गरीब छात्रों को पूर्व डीजीपी अभयानंद के मगध सुपर 30 में निःशुल्क पढ़ाया जाता है. यहां वर्तमान में दर्जनों छात्र नक्सल इलाके से आकर तैयारी कर रहे हैं.

निःशुल्क तैयारी करवाता है मगध सुपर 30
मगध सुपर 30 पिछले 10 वर्षों से गया में गरीब बच्चों को आईआईटी और एनआईटी संस्थानों में प्रवेश के लिए निःशुल्क तैयारी करवाता है. यहां निशुल्क शिक्षा के साथ-साथ रहना और खाना भी मुफ्त है. मगध सुपर 30 समाज के द्वारा संचालित किया जाता है. साल 2008 में 2 लड़की और 9 लड़कों ने इस संस्थान में दाखिला लेकर तैयारी करना शुरू किया था. 11 साल के इस क्रम में अभी तक सैकड़ों छात्रों ने यहां से सफलता हासिल किया है.

जेईई मेन में 25 में से 24 छात्रों को मिली सफलता
इस वर्ष जेईई मेन का रिजल्ट आते ही मगध सुपर 30 में जश्न का माहौल बन गया. इस संस्थान के 25 में से 24 छात्र ने सफलता हासिल किया है. छात्रों अपने खुशी को इजहार घर पर फ़ोन करके, दोस्तो के साथ विक्ट्री के चिन्ह बनाकर कर रहे थे. इसी संस्थान के शुभम जिन्होंने जेईई मेन 2019 में 99% अंक हासिल किया है. शुभम गया के दुखहरणी मन्दिर के पास रहते हैं. उनके पिताजी का पान का छोटा सा दुकान हैं. ऐसे दर्जनों छात्र हैं जिनके अभिभावक सपने में नही सोचे होंगे कि उनका बेटा इंजीनियर बनेगा. लेकिन मगध सुपर 30 गरीब छात्रों के लिए एक बड़ा सहारा बना है.

दो साल में होता है 500 टेस्ट
इस संस्थान के छात्रों ने बताया कि हमलोग के लिए कोई स्पेशल क्लास नहीं होता है. कोई रेगुलर शिक्षक नहीं हैं. इस संस्थान के सीनियर हमे गाइड करते हैं. उनसे अगर नहीं समझ पाए तो शिक्षक आते हैं कभी-कभी उनसे पूछते हैं. अभयानंद सर से भी फ़ोन पर सवाल पूछकर हल जानते हैं. हमलोग ज्यादा ग्रुप स्टडी करते हैं. मगध सुपर 30 में दो साल में 500 टेस्ट होता है. क्वालीफाई करने के लिए ये टेस्ट फायदेमंद रहता है. हमलोग निःशुल्क पढ़ाई करते हैं एक छात्र को जो चाहिए यहां मिलता हैं.

शौचालय में पढ़ना छात्र मानते हैं शुभ
मगध सुपर 30 के शौचालय में छात्र पढ़ते हैं. उस शौचालय को लकी मानते हैं. जो इसमें रहकर पढ़ाई करता है वो अच्छा अंक लाता है उसका दाखिला प्रतिष्ठित संस्थान में होता हैं. ये धारणा वहां के छात्रों में है. हालांकि वो शौचालय प्रयोग में नहीं है.

गया से खास रिपोर्ट

ब्रांच के सचिव का क्या है कहना
मगध सुपर 30 के गया ब्रांच के सचिव पंकज कुमार बताते हैं. ये संस्थान समाज के द्वारा चलता है. हमलोग हर वर्ष 300 छात्रों का प्रवेश परीक्षा लेते हैं उसमें से 30 से 40 छात्र का चयन होता है. चयनित छात्रों को दो वर्ष संस्थान में रखकर पढ़ाई करवाते हैं. दो वर्ष की शिक्षा और रहना-खाना निःशुल्क रहता है. इस ब्रांच में मगध क्षेत्र से लेकर बिहार के अन्य जिलों के छात्र रहते हैं. अभी टोटल 57 छात्र हैं. इस बार के प्रवेश परीक्षा में 24 छात्रों सफलता हासिल किया है.

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