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गया में कोरोना का डर… बीच मंझधार बच्चों की पढ़ाई

बिहार में स्कूल खुले हुए कई हफ्ते हो गए, फिर भी कोरोना का खौफ बच्चों और अभिभावकों के सिर से नहीं गया. लॉकडाउन के 11 महीने बाद स्कूलों को पूरे ऐहतियात के साथ खोलने की परमीशन थी. लेकिन कोरोना के दूसरे स्ट्रेन ने अभिभावकों को टेंशन में डाल दिया है.

 fear of Corona
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Published : Mar 28, 2021, 8:38 PM IST

गया:पिछले साल मार्च माह में स्कूल बंद होने के बाद लगभग 11 माह बाद कोविड से एहतियात बरतते हुए सभी सरकारी और निजी स्कूलों को खोला गया है. फिर भी बच्चे स्कूल नहीं आ रहे है. ऊपर से कोरोना के बढ़ते मामले ने भी बिहार में चिंता बढ़ा दी है. सरकारी विद्यालय में छात्रों की उपस्थिति बहुत कम दर्ज की जा रही है. कई जगहों पर बच्चे नहीं जा रहे हैं. कहीं बच्चों को अभिभावक जाने नहीं दे रहे हैं. कोरोना के डर से बच्चों की पढ़ाई मंझधार में है.

ऐसे ही गया नगर प्रखण्ड के शेरपुर गांव में एक प्राथमिक विद्यालय है, जहां छात्र नहीं आते है. उस स्कूल के शिक्षक छात्रों को स्कूल लाने के लिए घर घर जाकर जागरूक कर रहे हैं.

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दरअसल, कोरोना काल से बचाव को लेकर लागू लॉकडाउन में स्कूल पूर्ण रूप से बन्द कर दिया गया था. लगभग 11 माह बाद स्कूल तो खुल गए. बच्चे स्कूल जाने में आनाकानी कर रहे है. अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने से कतरा रहे है. प्राथमिक विद्यालय शेरपुर के प्रिंसिपल ने इस समस्या का हल निकाला और टोला सेवक द्वारा बच्चों के घर जाकर उन्हें स्कूल खुलने के बारे में जानकारी देते है और उन्हें कोविड के प्रति जागरूक भी करते है.

'अभिभावकों में कोविड का डर'
प्राथमिक विद्यालय शेरपुर के प्रधानाचार्य ने बताया कि प्राथमिक विद्यालय 11 माह के बाद खुला है. बच्चे स्कूल में बहुत कम आ रहे थे. पता चला कि बच्चों के अभिभावकों में कोविड का डर और जागरूकता की कमी है. मैं शिक्षक या टोला सेवक को लेकर गांव के घरों में जाकर बच्चों और अभिभावकों को स्कूल खुलने की जानकारी देते है और उन्हें कोविड के प्रति जागरूक भी करते है.

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