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गया: इंसान और जानवर पीते हैं एक नदी का पानी, यहां बेटी की शादी भी नहीं करते लोग

यहां दूषित पानी पीने से लोग बीमार पड़ रहे हैं. लोग प्यास बुझाने के लिए नदी के पानी का इस्तेमाल करते हैं. पानी की समस्या के चलते कोई इस गांव में अपनी बेटी की शादी भी नहीं करता है.

नदी से गंदा पानी लेते लोग

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Published : Apr 28, 2019, 4:30 AM IST


गया: जिले से एक हैरान करने वाली तस्वीर सामने आई है. मानपुर प्रखंड के खरहरी गांव में महादलित बस्ती के लोग पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. लोग नदी के दूषित पानी पीने के लिए विवश हैं. टोला में चापाकल हैं लेकिन उसमें काला पानी निकलता है.

नहीं मिल रहा सरकारी योजनाओं का लाभ
जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर खरहरी गांव है. गांव में सरकारी योजना ने दस्तक दिया है. अधिकांश ग्रामीण सरकार की योजनाओं से लाभान्वित भी हैं. लेकिन इसी गांव के करगा टोला जो पहाड़ के तलहटी में बसा है, वहां सरकार की योजना नहीं पहुंची है. भीषण गर्मी में महादलित टोला में पानी का भीषण संकट है. लोग गांव से गुजरने वाली सूखी नदी को खोदकर पानी निकालकर पीने को मजबूर हैं. पानी देखने से ही दूषित लगता है. पर मरता क्या नहीं करता वाली बात यहां के लोगों पर फिट बैठ रही है. ग्रामीण गंदा पानी पीने के लिए विवश हैं.

गया से ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

चापाकल से निकलता है काला पानी
पानी रे पानी तेरा रंग कैसा ये गाना आपने बचपन में सुना होगा. लेकिन यहां की हैरान करती तस्वीर को देखते हुए खरहरी गांव के बच्चे भी कहते हैं पानी का रंग काला होता है. खरहरी गांव के करगा टोला में लगे चापाकल से काला पानी निकलता है. सरपंच शंकर सिंह बताते हैं कि पहाड़ के नीचे कोयला है. जिससे चापाकल से काला पानी निकलता है. इस टोला में पानी की समस्या को देखते हुए चापाकल लगाया गया था. लेकिन कोई चापाकल का प्रयोग नहीं करते है.

भीषण गर्मी में सूख चुकी है नदी
खरहरी गांव के पहाड़ के उस ओर पैमार नदी गुजरती है. नदी इस भीषण गर्मी में सूख चुकी है. ग्रामीण नदी में सात फिट के गड्डा खोदकर प्यास बुझाने के लिए पानी निकालते हैं. नदी में खोदे गए गड्डे से पानी निकाल रही महिलाओं ने बताया कि मजबूरी में हमलोग दूषित पानी पी रहे हैं. पानी को ले जाकर छानना पड़ता है. जिसके बाद उसे पीने में प्रयोग किया जाता है.

नदी से पानी ले जातीं महिलाएं


पानी पीकर लोग पड़ जाते हैं बीमार
ग्रामीणों ने बताया कि पानी पीकर अधिकांश लोग बीमार पड़ जाते हैं. टोले में कई साल पहले चापाकल लगा था. शुरुआत से ही उसमें काला पानी आता है जो पीने योग्य नहीं है. ग्रामीणों का कहना है कि उससे अच्छा नदी का पानी है. सबसे हैरान करने वाली बात ये सामने आई कि उसी नदी की पानी को मवेशी भी पीते हैं और आम इंसान भी उसे पीने में प्रयोग करते है.


शादी भी बाहर के गांवों में करते हैं लोग
ग्रामीण ने बताया कि अगर कोई मेहमान आये उनको भी यही पानी पीने के लिए देते हैं. ऐेसे में लोग अपने घर परिवार में शादी भी बाहर ही करते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि गांव में शादी करेंगे तो मेहमानों को पानी कहां से पिलायेंगे. बेटी की शादी तो आसानी से हो जाती है लेकिन लड़के की शादी नहीं होती है. पानी के समस्या को लेकर कोई अपनी बेटी की शादी इस गांव में नहीं करने देना चाहता है.

बरसात के समय और बढ़ जाती हैं मुश्किलें
ग्रामीणों ने बरसात के समय ये समस्या और बढ़ जाती है. उस समय नदी का पानी भी पीने लायक नहीं रहता है. साथ ही नदी में पानी लेना भी काफी मुश्किल होता है. जलस्तर बढ़ने से काला पानी चापाकल से अधिक निकलता है. ऐसे में ग्रामीणों को बेहद कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है.

सिर पर पानी ले जाते बुजुर्ग

विभाग ने दिया आश्वासन
इस संबंध में जब ईटीवी भारत संवाददाता ने जिलाधिकारी अभिषेक सिंह से बात की तो उन्होंने बताया कि जिले में पेयजल की समस्या से निपटने के लिए पीएचईडी विभाग तैयार है. किसी भी गांव या कस्बे में पेयजल की समस्या है तो वो कंट्रोल रूम को कॉल करके बताएं. पीएचईडी विभाग वहां पेयजल की समस्या को दूर करेगा.इस संबंध में पीएचईडी विभाग के कार्यपालक अभियंता विवेक कुमार ने बताया कि खरहरी गांव में चालीस फिट पर कोयला है. इसके कारण चापाकल में काला पानी आता है. नल जल योजना गांव मे पहुंच गयी है. जल्द ही करगा टोला के लोग इससे लाभान्वित होंगे.

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