बिहार

bihar

ETV Bharat / state

गया में फिर से अफीम की खेती के लिए हजारों एकड़ खेत तैयार, माफिया और नक्सलियों के कनेक्शन से चल रहा गोरख धंधा

Gaya Opium Cultivation: बिहार के गया में अफीम की खेती का सिलसिला लगातार चल रहा है. कई बार पुलिस के द्वारा खेती नष्ट की गई है, इसके बावजूद माफियाओं और नक्सलियों की की मिलीभगत से इसकी खेती हो रही है. पढ़ें पूरी खबर.

गया में अफीम की खेती
गया में अफीम की खेती

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Nov 21, 2023, 7:44 PM IST

गयाःबिहार का गया अफीम की खेती का जोन बना हुआ है. इस अवैध खेती का उत्पादन बिहार ही नहीं बल्कि राजस्थान, पंजाब, हरियाणा तक तस्करी की जाती है. अफीम के सफेद पाउडर से लाखों का काला कारोबार चलता है. ढाई दशक से अधिक समय से गया के कई इलाकों में अफीम की खेती हो रही है. लगातार पुलिस के द्वारा कार्रवाई के बाद भी 90 दशक से शुरू खेती पर अब तक विराम नहीं लग पाया है.

नक्सलियों के लिए आर्थिक स्रोत का माध्यमःसूत्रों से पता चला है कि इस बार अफीम की खेती के लिए 2 हजार एकड़ खेत तैयार किया गया है. माफियाओं की ओर से नक्सलियों को पहले ही बड़ी रकम पहुंचा दी गई है ताकि किसी भी तरह की परेशानी न हो. नक्सलियों की ओर से इस गोरखधंधे की रक्षा भी की जाती है, क्योंकि अफीम की खेती नक्सलियों के लिए बड़ा आर्थिक स्रोत माना जाता है.

अफीम खेती के लिए अड्डा बना गयाः 1990 के दशक से गया जिले के नक्सल इलाकों में अफीम की खेती की शुरुआत हुई. इसकी शुरुआत बाराचट्टी प्रखंड के दक्षिण वाले इलाके से शुरू की गई थी. धीरे-धीरे इसका विस्तार हुआ और अब यह इमामगंज अनुमंडल थाना क्षेत्र के कई इलाकों में बड़े स्तर पर इसकी खेती होती है. बाराचट्टी के अलावे इमामगंज अनुमंडल के थाना क्षेत्र में भी अफीम की खेती अब वृहत पैमाने पर की जाती है.

ईटीवी भारत GFX

पिछले साल भी नष्ट की गई फसलः वर्ष 2022 की ही बात करें तो हजारों एकड़ की भूमि में लगी अफीम की फसल नष्ट की गई थी. अफीम की खेती इस कदर लगाई गई थी कि इसे नष्ट करने के लिए जेसीबी, ट्रैक्टर, भारी संख्या में सुरक्षा बल की मदद लेनी पड़ी थी. हालांकि तब भी अफीम की पूरी फसल नष्ट नहीं हो पाई थी. ऐसे में कहीं न कहीं अफीम की खेती को लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं.

बड़े माफियाओं की भूमिकाः इस साल भी बड़े पैमाने पर खेती शुरू होने की सूचना मिल रही है. अक्टूबर का महीना चढ़ते ही अफीम की खेती के लिए जमीन तैयार करनी शुरू कर दी गई थी. हालांकि इक्के-दुक्के स्थान पर सूचना के बाद वन विभाग व सुरक्षा बलों की टीम ने मिलकर कार्रवाई की थी, लेकिन यह कारवाई बहुत थोड़ी थी. अब जिस तरह से अफीम की खेती लगाई गई है उससे पता चलता है कि इसके पीछे बड़ा रैकेट काम कर रहा है.

बड़े लोगों का संरक्षणः सरकार की जमीन हो या रैयति या वन विभाग की, अफीम की फसल खूब होती रही है. करीब 30 वर्षों से गया जिले के बड़े भूभाग में यह गोरख धंधा चल रहा है. कहा तो यह भी जाता है कि इसमें ऐसे लोगों की भी मिलीभगत है, जिनके जिम्मे इसपर रोक लगाने की है, लेकिन मिलीभगत का परिणाम है कि अफीम की खेती न सिर्फ की जाती है बल्कि इसे संरक्षण भी प्रदान किया जाता है.

2 हजार एकड़ में खेती की तैयारीः सूत्रों से पचा चला है कि इसबार करीब 2000 एकड़ में अफीम की खेती की तैयारी है. इसके लिए खेत तैयार है. बीज पहले ही बो दिया गया है. फसल भी धीरे-धीरे तैयार होनी शुरू हो जाएगी. सबसे बड़ी बात यह है कि दर्जनों बोरिंग इस बार निजी तौर पर नक्सलियों के संरक्षण में माफिया के द्वारा करवाई गई है ताकि अफीम की फसल में पटवन में कोई दिक्कत न हो.

इन इलाकों में होती है अफीम की खेतीः गया के बाराचट्टी के भलुआ के जंगल, सोमिया केबलिया, जयगीर के जंगल, नारे, पिपराही, धवईया के अलावा इमामगंज में बड़े पैमाने पर खेती होती है. इमामगंज के लूटटीटांड़, खड़ाव, डुमरिया प्रखंड के छकरबंधा थाना के ग्राम पंचायत छकरबंधा के गांव समठा, भुसिया, पिछुलिया, महराव, कुड़ीलवा, घनकी, मायापुर, बंदोहरी, तारचुआ, ढपघरी, सागरपुर, बरहा, जमलडोहा, कनौदवा डाह, गोरिया थान, उपरवारी टोला, आमिल, मोथा व मैगरा थाना क्षेत्र के गरोहनटांड़ और कठुलिया शामिल है.

फसल नष्ट करने की तैयारीः बताया जा रहा है कि इमामगंज के इलाके में ड्रोन सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है ताकि खेती नष्ट करने की कार्रवाई की जाए. यदि अफीम की खेती होती है तो ड्रोन के माध्यम से पता लगाकर नष्ट किया जाएगा. इस संबंध में एसएसबी के एक अधिकारी ने बताया कि अफीम की खेती को डिस्ट्रॉय करने की शुरुआत कर दी गई है. कई इलाकों में अफीम की खेती के खिलाफ अभियान चल रहा है.

यह भी पढ़ेंः

Patna News: गया, औरंगाबाद में नक्सलियों और नशीली पदार्थों के उत्पादन पर रोक को लेकर चलाया जा रहा अभियान

Aurangabad Crime News: औरंगाबाद में हो रही थी अफीम की खेती, पुलिस ने 12 बीघा में लगी फसल की नष्ट

नक्सलियों की आड़ में बिहार-झारखंड के ड्रग्स माफिया बन रहे करोड़पति, तीन दशक से हो रही अफीम की खेती

ABOUT THE AUTHOR

...view details