बिहार

bihar

ETV Bharat / state

गया: फल्गु नदी में पहले पिंडदान का है महत्व, पितृ तर्पण की प्रथम वेदी है पुनपुन नदी

पंडित महेंद्र पांडेय ने बताया कि गया जी में फल्गु नदी में पिंडदान करने का महत्व है. इस नदी पर अगर खीर का पिंडदान किया जाए तो उसे अति उत्तम माना जाता है.

पितृपक्ष मेला

By

Published : Sep 13, 2019, 2:10 PM IST

Updated : Sep 13, 2019, 3:56 PM IST

गया:विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेले का शुभारंभ हो चुका है. 12 सितंबर को अनंत चतुर्दशी से इस मेले की शुरुआत हुई है. जहां लाखों की संख्या में देश और विदेश से लोग पहुंच रहे हैं. शुक्रवार को गया जी में पहला पिंडदान फल्गु नदी में किया जा रहा है. सूरज की लालीमा के साथ सुबह से ही पिंडदानी फल्गु नदी और देवघाट पर पितरों को मोक्ष दिलाने के लिए पिंडदान कर रहे हैं. देश के अन्य हिस्सों से भी हजारों पिंडदानी गया जी में आये हैं.

पिंडदान करते श्रद्धालु

तीन नदियों के संगम से बनी है फल्गू नदी
वर्तमान में सुखी नदी में एक छोर से लंबी लाइन जैसी बह रही फल्गू नदी को सभी नदियों में श्रेष्ठ माना गया है. फल्गु नदी तीन नदियों के संगम से बनी है. इस नदी के बारे में कथा है कि ब्रह्मा जी की आराधना पर फल्गु नदी के स्वरूप में विष्णु जी अवतरित हुए थे. ऐसी मान्यता है कि इस नदी पर अगर पिंडदानी का पांव भी पड़ जाता है तो उसके पितरों को मोक्ष मिल जाता है.

फल्गु नदी, गया

खीर के पिंडदान को अति उत्तम माना जाता है
पंडित महेंद्र पांडेय ने बताया कि 17 दिवसीय पिंडदान का आज दूसरा दिन है. गया जी में पिंडदान का पहला दिन है. जो श्रद्धालु पहले दिन पुनपुन में नहीं जाते, वो गया के गोदावरी सरोवर में पिंडदान कर सकते हैं. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि आज गया जी में फल्गु नदी में पिंडदान करने का महत्व है. फल्गु नदी पर खीर का अगर पिंडदान किया जाए तो उसे अति उत्तम माना जाता है.

पितृपक्ष मेला पर रिर्पोट

पुनपुन नदी को पितृ तर्पण की प्रथम वेदी माना जाता है
मोक्ष द्वार के रूप में देश-विदेश में विख्यात बिहार के गया जी में पितृ पक्ष के दौरान फल्गु नदी या उसके तट पर पिंडदान का बड़ा महत्व है, लेकिन आदि गंगा कही जाने वाली पुनपुन नदी को पितृ तर्पण की प्रथम वेदी मानी जाती है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पुनपुन नदी को पितृ तर्पण की प्रथम वेदी के रूप में स्वीकार किया गया है. ऐसा कहा जाता है कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम ने सबसे पहले पुनपुन नदी के तट पर ही अपने पूर्वजों का पिंडदान किया था. उसके बाद ही उन्होंने गया में फल्गु नदी के तट पर पिंडदान किया था.

Last Updated : Sep 13, 2019, 3:56 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details