मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिले के शिक्षा विभाग के अधिकारियों के साथ हुए समझौते के बावजूद खाली हाथ रहे टोला सेवक और तालिमी मरकज के स्वयं सेवक एक बार फिर से आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. 16 तारीख से आमरण अनशन पर बैठे सेवकों की सुध लेने अभी तक कोई अधिकारी नहीं आया है. आलम यह है कि अब अनशनकर्ता की हालत बिगड़ने लगी है.
आमरण अनशन पर बैठे टोला सेवक और स्वयंसेवकों की हालत बिगड़ी, सुध लेने नहीं आया कोई अधिकारी
इस लिखित समझौता के बाद भी टोला सेवकों और तालिमी मरकज के स्वयंसेवकों का समायोजन नहीं हो पाया. अधिकारी इनके समायोजन के बात पर टाल मटोल करते रहे. जिसको लेकर स्वयंसेवकों ने आमरण अनशन का ऐलान कर दिया.
क्या है मामला?
दरअसल, वित्तीय वर्ष 2014-15 में बहाल 112 टोला सेवकों की बहाली नियम के खिलाफ बताते हुए 16 महीना सेवा देने के बाद उन्हें चयनमुक्त कर दिया गया था. इसके अलावा उनके 16 महीने का मानदेय भी नहीं दिया गया. इसको लेकर चयनमुक्त 112 टोला सेवक हाईकोर्ट गए और कोर्ट ने समायोजन का आदेश जिला के शिक्षा विभाग को दिया. लेकिन, शिक्षा विभाग के अधिकारी टोला सेवकों की बात को सुनने को तैयार नहीं हुए. लिहाजा, टोला सेवकों ने 19 अगस्त से डीईओ कार्यालय के सामने आमरण अनशन शुरू किया था. एक सप्ताह तक चले अनशन के बाद आरजेडी विधायक के सामने शिक्षा विभाग के अधिकारियों और टोला सेवकों के बीच 15 दिनों के अंदर समायोजन का समझौता हुआ था.
अनशन पर बैठे स्वयं सेवक
इस लिखित समझौता के बाद भी टोला सेवकों और तालिमी मरकज के स्वयंसेवकों का समायोजन नहीं हो पाया. अधिकारी इनके समायोजन के बात पर टाल मटोल करते रहे. इस कारण टोला सेवक और तालिमी मरकज के पांच स्वयंसेवक एक बार फिर से आमरण अनशन पर बैठ गए हैं. अनशन पर बैठे स्वयं सेवकों की स्थिति बिगड़ रही है. लेकिन, उनकी सुध कोई भी अधिकारी नहीं ले रहा है.