पं.चंपारण: सत्याग्रह की धरती कहे जाने वाले मोतिहारी में शिया समुदाय के लोगों नें हिंदू समाज के लोगों के साथ मिलकर अमन और सौहार्द के साथ मातम जुलूस निकाल कर गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की. जुलूस के दौरान लोगों ने पारंपरिक हथियारों के साथ पूरे शहर का भ्रमण किया. इस दौरान जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हुए थे. भीड़ को देखते हुए पूरे शहर में भारी संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गई थी.
मिसाल: सत्याग्रह की धरती पर अकीदत के साथ मनाया गया मातमी त्यौहार, हिंदू समाज के लोगों ने पेश की मिसाल
मातमी पर्व चहल्लुम पर मुस्लिम युवाओं ने कई करतब दिखाते हुए नाच- गानों का प्रदर्शन किया. जुलूस में बच्चे, बूढ़े, जवान या हुसैन या हुसैन का नारा लगाते दिखे. इस अवसर पर मुस्लिम प्रवचकों ने कहा कि इमाम हुसैन की शहादत से इंसानियत और हक की राह में कुर्बान हो जाने की प्रेरणा मिलती है.
अकीदत के साथ मनाया गया मातमी त्यौहार
मातमी पर्व चहल्लुम पर मुस्लिम युवाओं ने कई करतब दिखाते हुए नाच- गानों का प्रदर्शन किया. जुलूस में बच्चे, बूढ़े, जवान या हुसैन या हुसैन का नारा लगाते दिखे. इस अवसर पर मुस्लिम प्रवचकों ने कहा कि इमाम हुसैन की शहादत से इंसानियत और हक की राह में कुर्बान हो जाने की प्रेरणा मिलती है.अंजाम की परवाह किए बिना सच पर कायम रहने की हिम्मत पैदा होती है. उन्होंने बताया कि सच्चाई और इंसानियत के लिए जान देने वाले कभी हारते नहीं, हमेशा जीतते हैं. वहीं ,शहर के प्रबुद्ध लोगों ने मानवता की रक्षा के लिए लोगों को आगे आने का आह्वान करते हुए शहर में शांती और अमन की दुआ मांगी.
2 महीने 8 दिन मनाया जाता है मातम
हजरत इमाम हुसैन की शहादत के 40 वें दिन चहल्लुम का आयोजन किया जाता है. बताया जाता है कि इसके पीछे एक दूसरा कारण भी है. मुस्लिम समुदाय के लोगों का कहना है कि हजारों साल पहले करबला कि लड़ाई में इमाम हुसैन के साथ उनके कमांडर जनरल अब्बास और कई अन्य सैनिकों ने अपनी शहादत दी थी. इस शहादत की याद में 2 महीने 8 दिन का शोक मनाया जाता है. चहल्लुम भी उसी का हिस्सा है.