मोतिहारी:पूर्वी चंपारण जिले में आस्था के महापर्व छठ के मौके पर धर्म की सभी सीमाएं खुद-ब-खुद खत्म हो जाती हैं. सूर्योपासना के इस महापर्व में सभी मजहब के लोग बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेते हैं. अल्पसंख्यक समाज के लोग जिले के विभिन्न छठ घाटों की सफाई के साथ-साथ रंग रोगन सजावट करने में जुटे हुए हैं.
घाट की सफाई करते हैं अल्पसंख्यक
शहर में धर्म समाज छठ घाट के तीन तरफ से अल्पसंख्यक समाज के लोग बसे हुए हैं. इस घाट पर नगर परिषद के कई वार्ड के छठव्रती अर्घ्य देती हैं. लिहाजा, इस घाट की साफ-सफाई से लेकर रंग-रोगन और सजावट का काम अल्पसंख्यक समाज के लोग पूरे भक्तिभाव से करते हैं. वहीं, अल्पसंख्यक समाज के लोग सभी समाज के व्यक्ति से आपस में भाईचारा के साथ रहने की अपील भी करते हैं.
अल्पसंख्यक समाज के लोग करते हैं छठ पूजा के सारे काम आस्था के महापर्व में नहीं हुआ कोई बदलाव
देश में समय के साथ हुए कई बदलाव के बावजूद आस्था के इस महापर्व में कोई बदलाव नहीं हुआ है. यही कारण है कि प्रकृति से जुड़े इस त्योहार को लेकर लोगों की आस्था दिन-प्रतिदिन मजबूत होती जा रही है. लिहाजा, अल्पसंख्यक समाज के साथ शारीरिक रूप से अक्षम हिंदू भी इस त्योहार में अपनी सहभागिता देने में पीछे नहीं रहते हैं. लोग जाति-पाति की सीमाओं को तोड़ छठ घाट की सफाई में लगे हुए हैं. सभी समाज के लोग अपने खर्च पर तालाब के पानी में ब्लीचिंग पाउडर और चुना का भी छिड़काव कर रहे हैं.
घाट की साफ-सफाई करते अल्पसंख्यक समाज के लोग प्रेम और भाईचारा ही सभी धर्मों का आखिरी मुकाम
बहरहाल, चंपारण हमेशा से देश को नया संदेश और दिशा देने में अपनी अहम भूमिका निभाता रहा है. लिहाजा, मोतिहारी का धर्मसमाज छठ घाट निश्चित रूप से देश को यह संदेश देता है कि आपसी प्रेम और भाईचारा ही सभी धर्मों का आखिरी मुकाम होता है.