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मोतिहारी: सरकारी दावों की खुली पोल, बीज के लिए कृषि विभाग का चक्कर लगा रहे हैं किसान

कृषि विभाग के अधिकारी का कहना है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के वैसे किसानों की सूची बना ली गई है जिनके धान के बिचड़े नष्ट हुए है. उन किसानों को आकस्मिक फसल के रुप में सवा 127 प्रभेद का धान दिया जा रहा है, जिसकी फसल 100 दिन में तैयार हो जाएगी.

कृषि विभाग का चक्कर लगा रहे किसान

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Published : Aug 10, 2019, 2:02 PM IST

मोतिहारी: पूर्वी चंपारण जिले में हुई आफत की बारिश के बाद आई बाढ़ से खेतों में लगी फसलें नष्ट हो गई. बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के कुछ किसान अपने धान के बिचड़े को किसी तरह बचाने में सफल हो गए थे, जबकि अधिकांश किसानों की खेत में लगे बिचड़े बर्बाद हो गए. वैसे किसानों के लिए सरकार ने आकस्मिक फसल के बीज का वितरण शुरु किया है. बीज के लिए किसान कृषि विभाग का चक्कर लगा रहे हैं.

बाढ़ से खेतों में लगी फसलें नष्ट

जुलाई के पहले सप्ताह में शुरु हुई मॉनसून की बारिश ने बाढ़ का रुप ले लिया. जिले के 11 प्रखंड बाढ़ की चपेट में आ गए. आम लोगों की जिंदगी अस्त-व्यस्त हो गई. किसानों के खेतों में लगे धान के बिचड़े बाढ़ के कारण बर्बाद हो गए. सरकारी सर्वेक्षण के बाद सरकार ने किसानों को आकस्मिक फसल के रुप में धान का बीज मुफ्त में देने की योजना शुरु की. लिहाजा, बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के किसान बीज को लेकर जिला कृषि कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन अधिकारियों से उनकी मुलाकात नहीं हो पा रही है और न ही उन्हें बीज मिल रहा है.

अजय कुमार, प्रभारी. डीईओ

क्या कहते हैं कृषि विभाग के अधिकारी?
इधर, विभाग का दावा है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के किसानों के बीच सौ दिन में तैयार होने वाले धान के बीज का वितरण किया जा रहा है. कृषि विभाग के अधिकारी का कहना है कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्र के वैसे किसानों की सूची बना ली गई है, जिनके धान के बिचड़े नष्ट हुए है. उन किसानों को आकस्मिक फसल के रूप में सवा 127 प्रभेद का धान दिया जा रहा है, जिसकी फसल 100 दिनों में तैयार हो जाएगी.

पेश है रिपोर्ट

आकड़ों के अनुसार
सरकारी आंकड़ों के अनुसार जिले के बाढ़ प्रभावित ग्यारह प्रखंडों में 23716.08 एकड़ धान की फसल, 1699 एकड़ मक्के की फसल और 261 एकड़ अन्य खरीफ फसलें बर्बाद हुई हैं. इसके लिए जिला कृषि कार्यालय ने सरकार से 31 करोड़ 16 लाख 49 हजार 480 रुपये की मांग की है. ताकि किसानों के नष्ट हुए खरीफ के फसलों की क्षतिपूर्ति की जा सके.

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