बिहार

bihar

ETV Bharat / state

भारत की सबसे बड़ी कागज मिल जो आज तक हक के लिए लड़ रही कानूनी लड़ाई

कंपनी के डायरेक्टर धरम गोधा ने मिल चलाने की बजाए उसके धरातव पर ला दिया. इसके नाम पर अरबों का लोन ले लिया. नतीजतन न तो मिल दोबारा चालू हुई और न ही मज़दूरों का बकाया पैसा मिला.

By

Published : Feb 23, 2019, 12:07 AM IST

दरभंगा: एशिया के सबसे बेहतर कागज बनाने वाली दरभंगा की अशोक मिल बंद होने के बाद चालू तो हुई, लेकिन एक निजी कंपनी के हाथों सौंपे जाने के बाद यह हमेशा के लिए बंद हो गई. इसके कारण इस मिल में काम करने वाले हजारों मजदूरों का बकाया पैसा भी डूब गया. अपने हक की मांग करते-करते कुछ कामगार दुनिया छोड़ गए और कुछ आज तक अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं.
अशोक मिल का इतिहास
⦁ अशोक पेपर मिल की स्थापना 1960 में राज दरभंगा और श्री बैद्यनाथ आयुर्वेद भवन लिमिटेड की ओर से संयुक्त रूप से की गयी थी.
⦁ इसे उस समय एशिया के सबसे बेहतर कागज मिलों में गिना जाता था. इसके कागज विदेशों में भी जाते थे.
⦁ इसमें 800 से ज़्यादा मजदूर काम करते थे जबकि प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से कुल मिलाकर 1500 से ज़्यादा परिवारों को रोजगार मिला हुआ था.
⦁ 1964 में महाराजा कामेश्वर सिंह के निधन के बाद यह बंद हो गयी.

वजह जिसने बर्बाद की मिल⦁ 1975 में बिहार और असम सरकार की पार्टनरशिप में यह दोबारा शुरू की गई.⦁ कुछ दिन के बाद असम की दिलचस्पी नहीं होने के कारण मिल 1982 में फिर से बंद हो गयी.⦁ उसके बाद कामगार यूनियन ने आंदोलन किया और सुप्रीम कोर्ट गया.⦁ कोर्ट के फैसले के बाद बिहार सरकार ने इसे एक निजी कंपनी नोव्यू कैपिटल एंड फाइनेंस लिमिटेड को चलाने के लिये दे दिया.⦁ कंपनी के डायरेक्टर धरम गोधा ने मिल चलाने की बजाए उसके धरातव पर ला दिया. इसके नाम पर अरबों का लोन ले लिया. नतीजतन न तो मिल दोबारा चालू हुई और न ही मज़दूरों का बकाया पैसा मिला.

यहां काम करने वाले मजदूर आज तक अपने बकाया के लिए लड़ रहे हैं. मिल पर मालिकाना हक और मजदूरों का बकाया दोनों मुद्दों को लेकर कानूनी लड़ाई चल रही है. उधर मिल से सामान चुराकर बेचा जा रहा है, जमीन पर अवैध कब्जा किया जा रहा है.

इस मामले में जब स्थानीय हायाघाट के विधायक अमरनाथ गामी से पूछा तो उन्होंने कहा कि मिल चलाने की मंशा निजी कंपनी के निदेशक की थी ही नहीं. वे इसके स्क्रैप तक बेच कर चले गये. इस मुद्दे को उन्होंने कई बार विधानसभा में भी उठाया है. बकाया भुगतान के लिए कोई मजदूर सबूत के साथ उनके पास नहीं आए, अगर आते है तो वे उनकी मदद करेंगे.

ABOUT THE AUTHOR

...view details