दरभंगाः इस बार बहने अपने भाइयों की कलाई पर चीन से आयातित राखी नहीं बांधेंगी. बिहार के मिथिला के कलाकारों ने अपनी मशहूर सीकी कला से ड्रैगन को टक्कर देने की पूरी तैयारी कर ली है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत और वोकल फॉर लोकल से प्रेरित होकर दरभंगा सदर प्रखंड के लक्ष्मीपुर गांव स्थित मिथिला हस्तकला केंद्र के सीकी कलाकार सीकी से खूबसूरत राखियां बनाने में लगे हैं. इस केंद्र की सीकी से बनी राखियों की देश-विदेश से ऑर्डर मिल रहे हैं. केंद्र की ओर से इस बार ये राखियां भारत के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और तीनों सेनाओं के प्रमुखों को भी भेजी जा रही हैं.
देश-विदेश में है मांग
मिथिला हस्तकला केंद्र के संयोजक राजेश कुमार कर्ण ने बताया कि सीकी कला प्राचीन समय से ही मिथिला में प्रचलित रही है. वे लोग इसे प्रमोट करते हैं. उन्होंने कहा कि सीकी से राखियां बनाई जा रही हैं. इसकी मांग देश के विभिन्न राज्यों के साथ दुनिया के कई देशों में भी है. एक राखी को बनाने में कम से कम डेढ़ घंटे का लगते हैं और सामान्य राखी में कम से कम 15 रुपये की लागत आती है. ये राखियां 50 रुपये तक मे बिकती हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली हाट में उनका एक स्टॉल है जहां से राखियां देश-विदेश में पहुंचती हैं.