बक्सरः जिला के जिला कृषि पदाधिकारी के कार्यलय के अंदर का ऑडियो वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है. इसमें साफ देखा जा सकता है कि एक दबंग कृषि पदाधिकारी कैसे एक कृषि समन्वयक को बिना गलती के एफआईआर में फंसाने का धमकी दे रहा है.
बक्सर : धमकी देते जिला कृषि अधिकारी का तेजी से हो रहा वीडियो वायरल
जिला कृषि पदाधिकारी के कार्यालय के अंदर का यह ऑडियो वीडियो इसी महीने का है. जब 5 मई को बक्सर जिला के जिला कृषि पदाधिकारी कृष्णानंद चक्रवर्ती ने चौसा के कृषि समन्वयक रामपुकार तिवारी को अपने कार्यालय कक्ष में बुलाकर प्राथमिकी दर्ज करने व जेल भेजने की धमकी दे रहे थे.
जिला कृषि पदाधिकारी का वीडियो वायरल
दरअसल, जिला कृषि पदाधिकारी के कार्यालय के अंदर का यह ऑडियो वीडियो इसी महीने का है. 5 मई को बक्सर जिला के जिला कृषि पदाधिकारी कृष्णानंद चक्रवर्ती ने चौसा के कृषि समन्वयक रामपुकार तिवारी को अपने कार्यालय कक्ष में बुलाकर प्राथमिकी दर्ज करने व जेल भेजने की धमकी दे रहे थे. यह वीडियो जैसे ही इटीवी भारत के संवाददाता के हाथ लगी तो उन्होंने पड़ताल किया. इसपर विभागीय सूत्रों ने बताया कि उसी कार्यालय का वीडियो है. जहां बार-बार कृषि समन्वयक रामपुकार तिवारी जिला कृषि पदाधिकारी से यह गुहार लगा रहा है, कि जब बीज हमारे पंचायत में पहुंचा ही नहीं तो कैसे झूठा रिपोर्ट तैयार कर दें. इसकी शिकायत लिखित और व्हाट्सएप से भी किया था. लेकिन आपने कोई संज्ञान ही नहीं लिया. इसकी जांच तो करवाइए साहब.
जिला कृषि पदाधिकारी का धमकी
वहीं, कृषि समन्वयक बार-बार इस मामले की जांच करवाने की विनती कर रहे थे. लेकिन फिर भी जिला कृषि पदाधिकारी ने उसकी बातों को अनसुना कर बिना जांच के ही एफआईआर कर उसे जेल भेजने की धमकी दे रहे थे. जिला कृषि पदाधिकारी के इस दबंगई का वीडियो पास में ही बैठे एक व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया. हालांकि मिली जनकारी के अनुसार दबंग जिला कृषि पदाधिकारी के बात नहीं मानने वाले कृषि समन्वयक रामपुकार तिवारी का स्थानांतरण कृषि पदाधिकारी ने 6 मई को केसठ ब्लॉक में कर दिया गया.
पहले से चल रही है जांच
हम आपको बतातें चले कि इससे पहले वर्ष 2019 में भी जिला कृषि पदाधिकारी कृष्ण नंदन चक्रवर्ती तब सुर्खियों में आये थे. जब बिना किसानों को दिए ही इन्होंने 300 क्विंटल अरहर और 700 क्विंटल ढाईचा घास का किसानों के नाम पर फर्जी सूची तैयार कर दी थी. जिसकी जांच में पहुंचे अधिकारियों ने भी माना था कि बड़े पैमाने पर धांधली हुई है. वहीं, जांच का जिम्मा उपविकास आयुक्त अरविंद कुमार को दिया गया था. लेकिन इनकी पहुंच इतनी दूर तक है कि अब तक वह मामला जांच में ही है. इसी बीच सवाल पूछे जाने वाले पत्रकारों पर कमीशन मांगने का आरोप लगाकर उन पर भी हरिजन एक्ट में मुकदमा करने की धमकी कृषि पदाधिकारी कई बार दे चुके हैं.