बक्सर: 'बंगले' में हुई फूट के बाद से सियासत गर्मा चुकी है.लोजपा नेता (LJP Leader) बंगले में फूट का कारण जदयू (JDU) को मान रहे हैं. वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Chief Minister Nitish Kumar) और जदयू पर गंभीर आरोप लगा रहे हैं. लोजपा नेताओं के बयानों पर प्रतिक्रिया देने में जदयू नेता (JDU Leader) भी देरी नहीं कर रहे हैं. लोजपा-जदयू की सियासी लड़ाई अब जमीनी स्तर पर भी दिखनी शुरू हो चुकी है.
जदयू के सिर मढ़ा 'बंगले' में फूट का ठिकरा
बक्सर (Buxar) से लोजपा जिला अध्यक्ष अखिलेश कुमार सिंह ने पार्टी में फूट का ठिकरा नीतीश कुमार के सिर मढ़ा है. उन्होंने जदयू पर आरोप लगाते हुए कहा कि पद और पैसों का लालच देकर बंगले में दरार डाली गई है. अखिलेश सिंह ने कहा कि लोजपा जल्द ही इस विपदा से उभर कर साजिश करने वालों को मुंहतोड़ जवाब देगी.
यह भी पढ़ें: दिल्ली में शक्ति प्रदर्शन के बाद अब बिहार आने की तैयारी में चिराग, निकालेंगे संघर्ष यात्रा
पार्टी में फूट पर क्या कहते हैं लोजपा नेता?
अखिलेश कुमार सिंह ने पार्टी में फूट को लेकर कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इशारे पर जदयू के पांच वरिष्ठ नेताओं ने इस पूरी खेल की रणनीति तैयार की है. जिसमें लोक जनशक्ति पार्टी के बागी नेता पशुपति पारस (Pashupati Paras) को पैसा और पद का लालच दिया गया है. 2005 में भी इस तरह की साजिश लोक जनशक्ति पार्टी के खिलाफ लोगों ने किया था. लोजपा के 29 विधायक को तोड़ लिया गया था.
'जदयू के लोग यह भली-भांति जानते हैं कि यदि लोजपा मजबूत होगी तो जदयू का नामो निशान मिटा देगी. जिस कारण लगातार साजिश किया जा रहा है. 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की बोलती बंद कर दिया था'.- अखिलेश कुमार सिंह, लोजपा नेता
यह भी पढ़ें:पारस-चिराग प्रकरण से नीतीश विरोधी ताकतों को मिली मजबूती, बिहार में नए राजनीतिक समीकरण के संकेत
जदयू का पलटवार
बक्सर लोजपा जिला अध्यक्ष की तरफ से आयी इस जुबानी हमले का जदयू ने पलटवार किया. जदयू के पूर्व जिला अध्यक्ष अशोक कुमार सिंह ने कहा कि बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव (Leader of Opposition Tejashwi Yadav) और लोक जनशक्ति पार्टी के नेता चिराग पासवान सोने की चम्मच लेकर राजनीति में पैदा हुए हैं. जिन्हें राजनीति का ककहरा भी मालूम नहीं है. वे चुनाव में नीतीश कुमार को जेल भेजने की बात कर रहे थे. आज लोजपा में पड़ी फूट ने चिराग पासवान की औकात को सबके सामने ला दिया है.
'चिराग पासवान सोने की चम्मच लेकर राजनीति में पैदा हुए हैं. इनको राजनीति का ककहरा भी मालूम नहीं है, और ये नीतीश कुमार को चुनाव अभियान में जेल भेजने की बात कर रहे थे. बिहार की जनता यह जान चुकी है कि चिराग पासवान की क्या औकात है. पहले वह अपना घर बचाकर दिखाएं, उसके बाद सियासत की बात करें'.- अशोक कुमार सिंह, जदयू पूर्व जिला अध्यक्ष
यह भी पढ़ें:भतीजा 'डाल-डाल' तो चाचा 'पात-पात', कुछ यूं चल रही है 'बंगले' पर कब्जे की लड़ाई
कब क्या हुआ
- 13 जून: लोजपा के 5 सांसदों ने पशुपति पारस को अपना नेता चुना. उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ संसदीय दल के नेता का दायित्व सौंपा. राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को सभी पदों से हटा दिया गया.
- 14 जून: लोकसभा सचिवालय ने चिराग की जगह पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता चुने जाने की अधिसूचना जारी की.
- 15 जून: चिराग ने लोजपा के पांच सांसदों (पशुपति पारस, चंदन सिंह, चौधरी महबूब अली कैसर, प्रिंस राज और वीणा सिंह) को पार्टी से बाहर निकाल दिया. दूसरी ओर पशुपति पारस गुट ने सूरजभान को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया.
- 16 जून: चिराग ने प्रिंस की जगह राजू को प्रदेश अध्यक्ष बनाया.
- 17 जून: पशुपति पारस राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए.
- 18 जून: पशुपति पारस ने पार्टी की राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर की सभी कमेटियों और प्रकोष्ठ को भंग कर दिया. नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा कर दी.