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खुद बीमार पड़ा भोजपुर का देसी चिकित्सालय, हफ्ते में 1 दिन आते हैं डॉक्टर

यहां मिश्रक के सहारे ही पूरे जिले का देसी चिकित्सालय संचालित किया जाता है. ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि यहां का देसी चिकित्सालय आज भगवान भरोसे ही है. .

देसी चिकित्सालय

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Published : Apr 20, 2019, 9:54 AM IST

भोजपुरः जिले के सदर अस्पताल स्तिथ देसी चिकित्सालय आज खुद बीमार हो चुका है. यहां स्वास्थ्य सेवाएं ठप हैं. आलम ये है कि अस्पताल में न तो संसाधन है और न ही डॉक्टर. इस मामले में ईटीवी ने जब पड़ताल की तो सच चौंका देने वाला था.

पूरा मामला भोजपुर के सदर अस्पताल कैम्पस में स्थित देसी चिकित्सालय का है. यहां मिश्रक (कम्पाउण्डर) के सहारे ही पूरे जिले का देसी चिकित्सालय संचालित किया जाता है. ऐसा कहना गलत नहीं होगा कि यहां का देसी चिकित्सालय आज भगवान भरोसे ही है.

होमियोपैथी विभाग में विगत 6 से 8 महीने से डॉक्टर नही हैं. इस बावत होमियोपैथी के मिश्रक (कम्पाउण्डर) गुप्तेश्वर प्रसाद ने बताया कि उनके विभाग में विगत 8 महीने से चिकित्सक नही हैं. इसलिए मरीजों को वे अपने अनुभव के आधार पर दवा दे देते हैं.

देसी चिकित्सालय के डॉक्टर

सप्ताह में एक दिन आते हैं डॉक्टर

इस बावत आयुर्वेदिक विभाग के चिकित्सक रविन्द्र प्रसाद ने बताया कि वे सप्ताह में एक दिन गुरुवार को यहां बक्सर से आते हैं. जबकि शुक्रवार और शनिवार को डॉ कमला प्रसाद यहां आते हैं. वहीं आयुर्वेदिक विभाग के मिश्रक कृष्ण लाल राम ने बताया कि चिकित्सकों के नहीं रहने पर वे खुद ही मरीजों को दवा देते हैं.

क्या कहते हैं पदाधिकारी
इस मामले में पूछे जाने पर प्रभारी जिला देशी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ शादिक ने बताया कि देशी चिकित्सालय में डॉक्टरों की घोर कमी है. यही वजह है कि यहां मिश्रक(कंपाउंडर) से ही काम चलाया जा रहा है. हालांकि इस कमी का जिक्र कई बार वरीय पदाधिकारियों को लिखित भी दी गयी है. बावजूद इसके अभी तक सरकार और विभाग दोनों इस मामले में उदासीन हैं.

देसी चिकित्सालय देसी चिकित्सालय

खुद चार अतिरिक्त पद पर हैं प्रतिनियुक्त
डॉ.सादिक ने खुद बताया कि विभाग ने इन पर चार अतिरिक्त पदों का बोझ लाद दिया है. जिसमें नियासी व्ययन पदाधिकारी,जिला देशी चिकित्सा पदाधिकारी,यूनानी यूनिट,नया भोजपुर में प्रतिनियुक्त हैं जबकि मठिला (बक्सर ) में पदस्थापित हैं.

सभी चिकित्सक हैं प्रतिनियुक्त
सरकार के सिस्टम को इस बारे में समझना चाहिए कि इन तीनों विभाग में कुल 9 चिकित्सक होने चाहिए लेकिन आलम यह है कि होमियोपैथिक विभाग में एक भी डॉक्टर नही हैं. यूनानी एवं आयुर्वेदिक मिलाकर मात्र 3 चिकित्सक हैं वो भी प्रतिनि. ऐसे में यह समझा जा सकता है कि सरकार देशी चिकित्सा को लेकर कितनी गंभीर है.

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