भागलपुर:जिले में इस साल के मांगन शाह दरगाह मेले का आयोजन शुरू हो गया है. बता दें कि बिहपुर थाना क्षेत्र में स्थित यह दरगाह हिंदू-मुस्लिम कौमी एकता का प्रतीक माना जाता है. बिहपुर के इस दरगाह पर हर साल मेला लगता है. इस साल भी मेले का आयोजन में जोर-शोर से किया जा रहा है. मांगन शाह दरगाह पर लगने वाले मेले में देश तो छोड़िए, दुनिया के अलग-अलग हिस्सों से लोग पहुंचते हैं. ऐसे में इस मेले की महत्ता और ज्यादा बढ़ जाती है.
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बड़ी संख्या में आते हैं हिन्दू-मुस्लिम
दुनियाभर से लोग इस मेले में दरगाह पर अपनी मुरादे लेकर पहुंचते हैं. तकरीबन लाखों की संख्या में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समुदायों के लोग इस मेले में जुटते हैं. दरगाह पर अपनी-अपनी मन्नतें मांगते हैं. मेले में काफी भीड़ होती है. ऐसे में यह प्रशासन के लिए भी कड़ी चुनौती होती है कि वह ऐसे आयोजनों में किसी भी तरह के असमाजिक तत्वों के मनसूबों को कामयाब न होने दे.
इस बार भी मेले में भारी भीड़ होने की बात कही जा रही है. ऐसे में नवगछिया के एसपी सुशांत सिंह सरोज, एसडीपीओ दिलीप कुमार के साथ बिहपुर थाना की पुलिस ने मिलकर मेले का निरीक्षण किया है.
एसपी ने निरीक्षण के बाद की चादर पोशी
निरीक्षण के दौरान नवगछिया एसपी सुशांत सिंह सरोज ने मांगन दरगाह पर माथा टेका और मेला कमेटियों के साथ कोरोना को लेकर बरती जा रही सावधानियों पर चर्चा की. उन्होंने निर्देश दिया की मेले में किसी को भी बिना मास्क के प्रवेश नहीं करने दिया जाये.
नवगछिया ने इस दौरान मीडिया से बात करते हुए कहा कि भीड़ को कंट्रोल करने के लिए जगह-जगह पर पुलिस बैरिकेडिंग और मजिस्ट्रेट की तैनाती 24 घंटे तक के लिए की गई है. ताकि आने-जाने वाले लोगों को परेशानी का सामना ना करना पड़े.
हिंदू मुस्लिम कौमी एकता के प्रतीक माने जानेवाले मांगन शाह दरगाह बिहपुर में मेले का आयोजन शुरू सबसे पहले कायस्थ करते हैं चाइर पोशी
मेला कमेटी के अध्यक्ष ने बताया कि यह हिंदू मुस्लिम कौमी एकता का पूरे भारत का एकमात्र दरगाह है. यहां की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस मजार पर सबसे पहले जो चादर पोशी एक कायस्थ करते हैं, जो हिंदू समुदाय से आते हैं. उसके बाद आने वाले हिंदू मुस्लिम बारी-बारी से चादर पोशी करते हैं. कमिटी के अध्यक्ष का कहना है कि यहां पर जो भी सच्चे मन से दुआ मांगते हैं, वह कबूल होती है. यहीं कारण है कि लाखों की संख्या में हिंदू और मुस्लिम दोनों यहां पहुंचते हैं. बताते चलें कि दरगाह पर यह मेला तकरीबन 1 सप्ताह तक लगा रहेगा.