भागलपुर: बिहार में कोरोना महामारी को फैलने से रोकने के लिए सरकार ने रात 9 से सुबह के 5 बजे तक नाइट कर्फ्यू लगाने की बात कही है. नाइट कर्फ्यू के दौरान कई चीजों पर प्रतिबंध लगाया गया है. सभी जिले के जिलाधिकारी को अपने-अपने स्तर से भीड़-भाड़ को नियंत्रण करने के लिए धारा 144 लगाने की भी छूट दी गई है. बिहार में सरकार की ओर से लगाए गए नाइट कर्फ्यू कितना कितना कारगर सिद्ध होगा इस पर ईटीवी भारत ने कांग्रेस विधायक दल के नेता अजीत शर्मा से बातचीत की है. बातचीत में अजीत शर्मा ने सरकार पर मनमानी करने का आरोप लगाया है. अजीत शर्मा ने सर्वदलीय बैठक को इस दौरान महज खानापूर्ति करार दिया.
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बिहार में नाइट कर्फ्यू का कोई औचित्य नहीं - अजीत शर्मा
अजीत शर्मा ने कहा कि राज्य में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हो रही है, कोरोना से हो रहीं मौतें लगातार नए आंकड़ों को छू रही हैं और सरकार ने लॉक डाउन की जगह नाइट कर्फ्यू लगाया है. जबकि बिहार में नाइट कर्फ्यू का कोई औचित्य नहीं है. बिहार, महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में शामिल नहीं है. क्योंकि बड़े शहरों में रात में लोग सड़क पर निकलते हैं, वहां नाइट कर्फ्यू कारगर सिद्ध है, लेकिन बिहार में जिस समय नाइट कर्फ्यू लागू किया गया है, उस समय स्वभाविक है कि सभी लोग अपने घरों में होते हैं.
इसलिए जरूरी था सप्ताह के अंत में पूर्णतः लॉकडाउन घोषित किया जाता और इस दौरान शहर और गांव के सभी मोहल्ले में सैनिटाइजेशनका काम किया जाता. जिससे कि कोरोना के चैन को तोड़ा जाए और जांच का दायरा बाढ़कर घर-घर तक किया जा सकता. इससे मरीजों को ट्रेस किया जा सकेगा और उनका इलाज भी शुरू किया जा सकेगा. उन्होंने कहा कि राज्यपाल कि अध्यक्षता में हुई बैठक में कांग्रेस सहित कई पार्टियों ने लॉकडाउन लगाने की सिफारिश की थी, लेकिन सरकार ने उसे दरकिनार कर दिया.
मेवालाल चौधरी के निधन पर भी बोलें
अजीत शर्मा ने जदयू विधायक मेवालाल चौधरी के निधन पर भी कहा कि जिस तरह से सरकारी अस्पताल की जगह निजी अस्पताल में उसका इलाज हुआ, इससे साफ जाहिर हो रहा है कि सरकारी अस्पतालों में व्यवस्था बद से बदतर है. यहीं वजह रही कि सरकार के विधायक का इलाज निजी अस्पताल में किया गया.
डॉक्टरों की लापरवाही और अस्पताल में व्यवस्था नहीं होने के कारण मरीजों की मौत हो रही है. ऑक्सीजन नहीं मिल रहा है, मनमाने तरीके से डॉक्टर काम कर रहे हैं. इसलिए जरूरी है इसमें व्यापक सुधार किया जाए. इस महामारी के समय में डॉक्टरों की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जानी चाहिए ऐसे डॉक्टरों पर कार्रवाई हो जिसकी लापरवाही से मरीज की जान जा रही है.अजीत शर्मा, कांग्रेस विधायक दल के नेता
ऑक्सीजन प्लांट को लेकर पूछे सवाल
अजीत शर्मा ने बिहार में ऑक्सीजन की कमी के बारे में बात करते हुए कहा कि सभी मेडिकल कॉलेजों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि भागलपुर में पिछले वर्ष ही ऑक्सीजन प्लांट का शिलान्यास किया गया था, उस समय भी कोरोना अपने रफ्तार में था, इस बार भी जब कोरोना ने रफ्तार पकड़ी है तो फिर से ऑक्सीजन प्लांट लगाने की बात मुख्यमंत्री ने कही है. लेकिन जो पिछले वर्ष शिलान्यास किया गया था वो प्लांट आज तक तैयार नहीं हो सका. इसकी क्या वजह है? यह बताना चाहिए था. शिलान्यास के बाद एक ईट तक वहां पर नहीं जोड़ा जा सका है. उन्होंने कहा कि क्या यह महज एक सरकार की ओर से जनता को लुभाने के लिए दिया गया झुनझुना था?