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बांका: वेंडिंग जोन के लिए तरस रहे सब्जी विक्रेता, मंत्री और अधिकारियों से मिला सिर्फ आश्वासन

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Published : Jun 24, 2020, 10:30 PM IST

2017 में तत्कालीन एसडीएम पूनम कुमारी ने 5 करोड़ की लागत से हाईटेक वेंडिंग जोन बनाने के लिए पहल की थी. लेकिन 3 साल बाद भी वेंडिंग जोन नहीं बन पाया है.

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बांका: जिले में फुटकर विक्रेताओं की परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. खासकर बारिश के दिनों में शेड नहीं रहने की वजह से इन्हें कापी समस्या हो रही है. लगातार 10 वर्षों से सब्जी विक्रेता वेंडिंग जोन बनाने की मांग कर रहे हैं. 2017 में प्रस्तावित वेंडिंग जोन अभी तक अधर में लटका है.

3 साल बाद भी नहीं बन पाया वेंडिंग जोन
बता दें कि 2017 में तत्कालीन एसडीएम पूनम कुमारी ने 5 करोड़ की लागत से हाईटेक वेंडिंग जोन बनाने के लिए पहल की थी. इसके लिए जमीन भी चिन्हित करवाया गया था. लेकिन उनके तबादले के साथ ही फाइल को भी बंद कर यह काम छोड़ दिया गया. एसडीएम पूनम कुमारी का तबादला हुए तीन वर्ष बीत चुका है. लेकिन अभी तक सब्जी विक्रेता वेंडिंग जोन के लिए तरस रहे हैं.

देखें रिपोर्ट.

मंत्री और अधिकारियों से सिर्फ मिला आश्वासन
सब्जी और फल बेचने वाले किशन साह, शंभू पोद्दार, मो. इसराइल सहित दर्जनों वेंडर ने बताया कि राजस्व और भूमि सुधार मंत्री रामनारायण मंडल से लेकर डीएम तक दर्जनों बार आवेदन दिया गया. लेकिन आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला. अधिकारी सब्जी विक्रेताओं की समस्या तक को देखने के लिए नहीं आते हैं. हमलोग सड़क पर सब्जी नहीं बेच सकते हैं. पुलिस वाले डंडे मारते हैं. बारिश के समय में कीचड़ भर जाता है. साथ ही वाहनों को पार्क करना भी मुश्किल हो जाता है. जिस स्थान पर वेंडिंग जोन बनना है, वहां खरीदार नहीं पहुंचते हैं. इस वजह से सब्जियां सड़ जाती है और काफी नुकसान सहना पड़ता है.

वेंडिंग जोन नहीं बनने से सब्जी विक्रेताओं में नाराजगी

5 करोड़ की लागत से बनना था हाईटेक वेंडिंग जोन
फुटकर विक्रेता संघ के उपाध्यक्ष आनंदी प्रसाद साह ने बताया कि 1 मार्च 2017 को सब्जी विक्रेताओं के लिए जिला प्रशासन की ओर से जमीन मुहैया करायी गयी थी. उस वक्त 450 से अधिक सब्जी विक्रेताओं के लिए 5 करोड़ की लागत से लाइटिंग, शौचालय और पेयजल की सुविधा युक्त वेंडींग जोन बनाया जाना था. तत्कालीन एसडीएम ने इसका उद्घाटन भी किया था. उनके तबादले के साथ ही वेंडिंग जोन बनने का सपना साकार नहीं हो पाया है. डीएम और एसडीएम से लेकर नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी तक को इस मामले में कई बार सूचित किया गया है. लेकिन कोई मदद नहीं मिली.

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