पटना:कोरोना का नया म्यूटेंट ओमीक्रोन (Corona new mutant Omicron) ने जब से दस्तक दी है, जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing Omicron ) की खूब चर्चाएं सुनने को मिल रही है. व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस किस रूप में मौजूद है और यह वायरस का कौन सा स्ट्रेन है, यह पता लगाने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग किया जाता है. बिहार सरकार (Bihar Government) ने निर्देश दिया है कि फॉरेन ट्रैवल हिस्ट्री वाले किसी शख्स की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव मिलती है तो उस शख्स के सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए लैब भेजा जाए. लोग जानना चाहते हैं कि जीनोम सीक्वेंस क्या है.
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आईजीआईएमएस (IGIMS) के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉक्टर नम्रता कुमारी ने बताया कि किसी भी माइक्रोऑर्गेनिस्म या जीव के स्पेसिफिक कोरोना वायरस की बात करें तो कोरोना वायरस में जो जेनेटिक मैटेरियल (Genetic Material) होता है, वह अपने तरह से कमपोस्ड होता है. कोरोना वायरस आरएनए वायरस (RNA Virus) है, ऐसे में वायरस के आरएनए को डीएनए में कन्वर्ट किया जाता है. जिसके बाद डीएनए का समूह मिलता है, जिसे हम जीन कहते हैं. जीन ही वायरस के फंक्शन और स्ट्रक्चर के लिए रिस्पांसिबल होता है. जीन के समूह को जीनोम कहते हैं. ऐसे में जीनोम सीक्वेंसिंग का मतलब पूरे जीनोम की मैपिंग होता है.
डॉ. नम्रता कुमारी ने बताया कि जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए मशीन में एक बार में अधिकतम 96 सैंपल को लिया जा सकता है, लेकिन सैंपल की क्वालिटी पर डिपेंड करता है कि जो 96 सैंपल लिया गया है उसमें सारे सैंपल का रिजल्ट पा सकते हैं या नहीं. कभी-कभी जीनोम सीक्वेंसिंग के दौरान मशीन बीच में बंद हो सकती है, ऐसे में जीनोम सीक्वेंसिंग के कार्य को फिर से शुरू करना पड़ता है. जीनोम सीक्वेंसिंग के मशीन के एक रन में अधिकतम 96 सैंपल को लोड किया जा सकता है, क्योंकि कॉर्टेज क्षमता 96 सैंपल की होती है.
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''जीनोम सीक्वेंसिंग के मशीन का 1 रन कंप्लीट होने में न्यूनतम 10 दिन का समय लगता है और अगर मशीन बीच में रुक जाता है तो यह अवधि और लंबी हो जाती है. उन्होंने बताया कि 1 रन को कंप्लीट करने में लगभग 15 लाख की लागत आती है. अब चाहे एक सैंपल का जिनोम सीक्वेंसिंग किया जाए या पूरे 96 सैंपल का लागत इतनी ही रहती है. जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए जो पूरी प्रक्रिया होती है और जो केमिकल और कंपोनेंट का यूज़ किया जाता है वह काफी महंगा होता है. जिनोम सीक्वेंसिंग की पूरी प्रक्रिया में 4 से 5 स्टेप होते हैं.''-डॉक्टर नम्रता कुमारी, विभागाध्यक्ष, IGIMS माइक्रोबायोलॉजी विभाग
बता दें कि आईजीआईएमएस में डेढ़ वर्ष पूर्व माइसेक इल्यूमिना कंपनी की जीनोम सीक्वेंसिंग की हाईटेक मशीन इंस्टॉल की गई थी और अब तक आईजीआईएमएस में इस मशीन के 2 ट्रायल रन कंप्लीट किए गए हैं. हाल के दिनों में अगर कोई भी पॉजिटिव मामले मिल रहे हैं, तो लोगों की इच्छा रह रही है कि इस सैंपल का जीनोम सीक्वेंसिंग कर पता लगाया जाए कि यह वायरस का कौन सा वैरीएंट है.