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आजकल 'जीनोम सीक्वेंसिंग' की खूब चर्चा हो रही है, ये क्या होता है आप जानते हैं, पढ़ें...

कोरोना का नया वैरिएंट ओमिक्रोन (New Variant of Corona) देशभर में चिंता का सबब बना हुआ है. इसके केस लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं और इस वैरिएंट के बारे में जीनोम सीक्वेंसिंग के जरिए पता किया जा सकता है. ऐसे में जानते हैं कि जीनोम सीक्वेंस क्या है और इसकी प्रक्रिया कैसे पूरी होती है. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

Genome Sequencing Omicron
Genome Sequencing Omicron

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Published : Dec 7, 2021, 7:22 PM IST

पटना:कोरोना का नया म्यूटेंट ओमीक्रोन (Corona new mutant Omicron) ने जब से दस्तक दी है, जीनोम सीक्वेंसिंग (Genome Sequencing Omicron ) की खूब चर्चाएं सुनने को मिल रही है. व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस किस रूप में मौजूद है और यह वायरस का कौन सा स्ट्रेन है, यह पता लगाने के लिए जीनोम सीक्वेंसिंग किया जाता है. बिहार सरकार (Bihar Government) ने निर्देश दिया है कि फॉरेन ट्रैवल हिस्ट्री वाले किसी शख्स की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव मिलती है तो उस शख्स के सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए लैब भेजा जाए. लोग जानना चाहते हैं कि जीनोम सीक्वेंस क्या है.

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आईजीआईएमएस (IGIMS) के माइक्रोबायोलॉजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉक्टर नम्रता कुमारी ने बताया कि किसी भी माइक्रोऑर्गेनिस्म या जीव के स्पेसिफिक कोरोना वायरस की बात करें तो कोरोना वायरस में जो जेनेटिक मैटेरियल (Genetic Material) होता है, वह अपने तरह से कमपोस्ड होता है. कोरोना वायरस आरएनए वायरस (RNA Virus) है, ऐसे में वायरस के आरएनए को डीएनए में कन्वर्ट किया जाता है. जिसके बाद डीएनए का समूह मिलता है, जिसे हम जीन कहते हैं. जीन ही वायरस के फंक्शन और स्ट्रक्चर के लिए रिस्पांसिबल होता है. जीन के समूह को जीनोम कहते हैं. ऐसे में जीनोम सीक्वेंसिंग का मतलब पूरे जीनोम की मैपिंग होता है.

देखें रिपोर्ट

डॉ. नम्रता कुमारी ने बताया कि जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए मशीन में एक बार में अधिकतम 96 सैंपल को लिया जा सकता है, लेकिन सैंपल की क्वालिटी पर डिपेंड करता है कि जो 96 सैंपल लिया गया है उसमें सारे सैंपल का रिजल्ट पा सकते हैं या नहीं. कभी-कभी जीनोम सीक्वेंसिंग के दौरान मशीन बीच में बंद हो सकती है, ऐसे में जीनोम सीक्वेंसिंग के कार्य को फिर से शुरू करना पड़ता है. जीनोम सीक्वेंसिंग के मशीन के एक रन में अधिकतम 96 सैंपल को लोड किया जा सकता है, क्योंकि कॉर्टेज क्षमता 96 सैंपल की होती है.

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''जीनोम सीक्वेंसिंग के मशीन का 1 रन कंप्लीट होने में न्यूनतम 10 दिन का समय लगता है और अगर मशीन बीच में रुक जाता है तो यह अवधि और लंबी हो जाती है. उन्होंने बताया कि 1 रन को कंप्लीट करने में लगभग 15 लाख की लागत आती है. अब चाहे एक सैंपल का जिनोम सीक्वेंसिंग किया जाए या पूरे 96 सैंपल का लागत इतनी ही रहती है. जिनोम सीक्वेंसिंग के लिए जो पूरी प्रक्रिया होती है और जो केमिकल और कंपोनेंट का यूज़ किया जाता है वह काफी महंगा होता है. जिनोम सीक्वेंसिंग की पूरी प्रक्रिया में 4 से 5 स्टेप होते हैं.''-डॉक्टर नम्रता कुमारी, विभागाध्यक्ष, IGIMS माइक्रोबायोलॉजी विभाग

बता दें कि आईजीआईएमएस में डेढ़ वर्ष पूर्व माइसेक इल्यूमिना कंपनी की जीनोम सीक्वेंसिंग की हाईटेक मशीन इंस्टॉल की गई थी और अब तक आईजीआईएमएस में इस मशीन के 2 ट्रायल रन कंप्लीट किए गए हैं. हाल के दिनों में अगर कोई भी पॉजिटिव मामले मिल रहे हैं, तो लोगों की इच्छा रह रही है कि इस सैंपल का जीनोम सीक्वेंसिंग कर पता लगाया जाए कि यह वायरस का कौन सा वैरीएंट है.

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एक या दो सैंपल के लिए अगर जीनोम सीक्वेंसिंग के मशीन को रन किया जाए तो यह काफी खर्चीला हो जाता है. ऐसे में डॉ. नम्रता कुमारी ने बताया कि जब एक या दो सैंपल के लिए सीक्वेंसिंग करना हो तो उस समय यह जरूरी है कि यह पता लगाया जाए कि इसका लाभ कितना है. हमें यह देखना होगा कि इसका इकोनॉमिक हार्म कितना है और इसका बेनिफिट कहां तक जाता है.

डॉक्टर नम्रता कुमारी ने बताया कि अभी तक आईजीआईएमएस में जीनोम सीक्वेंसिंग मशीन का दो ट्रायल रन कंप्लीट किया गया है और यह संस्थान के फंड से किया गया है. पहले ट्रायल रन में 10 सैंपल का जीनोम सीक्वेंसिंग किया गया, जिसमें अधिकांश डेल्टा स्ट्रेन के मिले और एक अल्फा स्ट्रेन का मिला. दोबारा में 14 सैंपल का सीक्वेंसिंग किया गया. जब इसकी शुरुआत की गई तो कई सैंपल वेस्ट भी हुए हैं.

उन्होंने बताया कि जितने भी सैंपल का सीक्वेंसिंग किया गया वह आर्काइव्ड सैंपल थे, यानी जो सैंपल पहले से स्टोर किए हुए थे. वर्तमान समय में भी कुछ सैंपल को सीक्वेंसिंग के लिए लगाकर रखा गया है और यह सभी सैंपल आर्काइव्ड सैंपल हैं, लेकिन इसमें एक सैंपल लंदन वाले केस का है, जिसका सभी को इंतजार है. बता दें कि बीते दिनों पटना के पारस हॉस्पिटल में लंदन के ट्रैवल हिस्ट्री वाले एक संक्रमित को एडमिट किया गया था और इस सैंपल को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए लैब में भेजा गया था.

डॉक्टर नम्रता कुमारी ने बताया कि आगे के सीक्वेंसिंग के लिए उन्हें फंड की आवश्यकता है और इसको लेकर उन्होंने राज्य सरकार स्वास्थ्य विभाग को पत्र लिखा है. उन्होंने 2 रन के लिए प्रपोजल बनाकर फंड की डिमांड की है. राज्य सरकार खासकर स्वास्थ्य मंत्री का इसको लेकर रुख सकारात्मक है, ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही स्वास्थ्य विभाग की तरफ से फंड उपलब्ध हो जाएगा और आगे फिर से सीक्वेंसिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

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