पटना:वैसे तो सभी दल शुचिता की बात करते हैं और यह भी कहते हैं कि आपराधिक चरित्र वाले लोगों को चुनाव में टिकट नहीं दिया जाना चाहिए, लेकिन शायद ही कोई उस पर अमल करता है. बिहार में माननीय पर कई गंभीर मामले दर्ज हैं. बिहार में 598 केस जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज (Case Filed against Public Representatives in Bihar) हैं, जिसमें से 520 पर चार्जशीट हो चुकी है. अनुसंधान के लिए 78 और 7 केस संज्ञान के स्तर पर लंबित हैं. वहीं, 268 सबूत के लिए लंबित हैं. कुछ मामले फैसले के स्तर पर भी लंबित हैं. इसमें पूर्व मंत्री विजय प्रकाश और अन्य का मामला शामिल है. लेकिन, पूरे मामले में पटना हाईकोर्ट का रुख अब सख्त दिख रहा है.
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माननीयों पर गंभीर मामलों में केस दर्ज:कई माननीय रेपकांड से लेकर हत्या तक के मामलों में कईयों को तो पहले भी सजा हो चुकी है. राजवल्लभ यादव उम्रकैद की सजा काट रहे हैं, वहीं आनंद मोहन डीएम हत्या मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे हैं. बलिया के पूर्व विधायक सूरजभान सिंह को भी हत्याकांड में सजा हो चुकी है. पूर्व विधायक सुनील पांडे को भी आपराधिक मामले में सजा हो चुकी है. वहीं, कृष्ण वल्लभ यादव को भी हत्या के मामले में सजा मिल चुकी है. सीतामढ़ी गोलीकांड में राजद के पूर्व सांसद अनवारूल हक, नवल किशोर राय और बीजेपी के पूर्व विधायक राम नरेश यादव को सजा मिल चुकी है.
कईयों को घोटालों में मिल चुकी सजा:अलकतरा घोटाले में पूर्व मंत्री इलियास हुसैन को भी सजा मिल चुकी है और चारा घोटाला के मामले में लालू प्रसाद यादव अभी भी जेल में है. उससे पहले जगन्नाथ मिश्रा, आरके राणा, जगदीश शर्मा को भी सजा मिल चुकी है. खगड़िया के पूर्व विधायक रणवीर यादव और पूर्व विधायक राजेंद्र यादव को भी सजा मिल चुकी है. पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को भी सजा मिली है और पूर्व सांसद शहाबुद्दीन को भी सजा मिली है. इनमें से कई नेताओं की अब मौत भी हो चुकी है तो कई अभी भी जेल में हैं, लेकिन सच्चाई यह भी है कि बड़ी संख्या में ऐसे मामले भी हैं जो लंबित हैं.
सभी मामलों पर कोर्ट की कड़ी नजर:ऐसे तो पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट से लेकर पटना हाईकोर्ट तक की कड़ी नजर है और इसके कारण सुनवाई के मामलों में तेजी आई है. कोरोना का भी असर पड़ा है. बिहार में अभी 598 मुकदमे जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज हैं, इसमें से 520 में चार्ज शीट हो चुकी है. 78 केस अनुसंधान के लिए जबकि 7 केस संज्ञान के स्तर पर लंबित है. वहीं, 268 केस साक्ष्य के लिए लंबित है और पटना हाईकोर्ट ने इसमें प्रतिदिन सुनवाई करने का निर्देश दिया है. एमपी एमएलए विशेष कोर्ट में लगातार ऐसे मामलों की सुनवाई हो रही है.
माननीयों के कोर्ट में लंबित केस: सबसे अधिक 102 केस पटना सिविल कोर्ट में लंबित है और सबसे कम एक केस जहानाबाद सिविल कोर्ट में है. पिछले 42 वर्षों से जनप्रतिनिधियों के खिलाफ दर्ज मुकदमे में अब तक सुनवाई के लिए निचली अदालतों में लंबित मामले कुछ जिलों में इस प्रकार से है. पटना कोर्ट में 102, गया कोर्ट में 34, मुजफ्फरपुर कोर्ट में 31, सिवान कोर्ट में 30, कटिहार कोर्ट में 22, रोहतास कोर्ट में 22, बेगूसराय कोर्ट में 22, बक्सर कोर्ट में 22, खगड़िया कोर्ट में 22, आरा कोर्ट में 22, भागलपुर कोर्ट में 18, मोतिहारी कोर्ट में 18, छपरा कोर्ट में 18, पूर्णिया कोर्ट में 18, नवादा कोर्ट में 15 मामले लंबित हैं.