पटनाः सूबे के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच स्थित पोषण पुनर्वास केंद्र बच्चों के लिए संजीवनी बन रहा है. लेकिन जागरुकता की कमी के कारण केंद्र तक बच्चे पहुंच नहीं पा रहे हैं. अस्पताल में बेडों के अनुपात में बच्चों की काफी कमी है.
राजधानी के पीएमसीएच में इन दिनों बच्चों के लिए पोषण पुनर्वास केंद्र काफी फायदेमंद साबित हो रहा है. बच्चों को कुपोषण मुक्त करने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा यह केंद्र खोला गया है. शिशु रोग विभाग में खोले गए पोषण पुनर्वास केंद्र में कुपोषित और अति कुपोषित बच्चों को भर्ती कराया जाता है. जहां न सिर्फ बच्चे का इलाज किया जाता है बल्कि उसके साथ रहने वाली उसकी मां को भी खाना-पीना और प्रोत्साहन राशि दी जाती है.
पोषण पुनर्वास केंद्र में जानकारी देते डॉक्टर नहीं पहुंच रहे बच्चे
यहां सबसे बड़ी परेशानी की बात यह है कि बच्चे पुनर्वास केंद्र तक नहीं पहुंच पा रहे हैं. केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध सुविधा के बावजूद बच्चे का यहां नहीं पहुंचना एक बड़ी चिंता का विषय है. यहां बेडों की संख्या के अनुपात में अगर मरीज देखा जाए तो दो से तीन ही दिख रहे हैं. चिकित्सक का कहना है कि तीन श्रेणियों में बैठे कुपोषित बच्चों की संख्या कुल बच्चों की संख्या का एक तिहाई है. गौरतलब है कि हॉस्पिटल में राज्य भर के कोने-कोने से आने वाले कुपोषित बच्चों को नया जीवन दिया जा रहा है.
मुफ्त जांच इलाज और भोजन
राज्य सरकार यूनिसेफ एवं पीएमसीएच के संयुक्त तत्वधान में यह पोषण एवं पुनर्वास केंद्र खोला गया है. यह केंद्र पिछले 1 वर्षों से कार्यरत है. शिशु विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर एके जायसवाल का कहना है कि राज्य में काफी संख्या में बच्चे बीमारी, गरीबी और अज्ञानता का कारण कुपोषण का शिकार हो जाते हैं. पोषण पुनर्वास केंद्र में मुफ्त जांच इलाज और भोजन की व्यवस्था की जाती है.
मां को दी जाती है ट्रेनिंग
इस केंद्र में बच्चों को स्वास्थ्य एवं पौष्टिक आहार दिया जाता है. इसके साथ-साथ उनकी माताओं को भी प्रशिक्षण दिया जाता है. यहां पर माताओं को 10 दिन की ट्रेनिंग दी जाती है. वर्तमान में इसमें सारण जिले के गरखा प्रखंड के बच्चे हैं. धीरे-धीरे इसकी स्थिती में सुधार हो रहा है. केन्द्र की खास बात यह है कि कुपोषित बच्चे के साथ-साथ उनकी माता को भी निशुल्क रहने, भोजन और हर रोज 50 रुपये देने का प्रावधान है.