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ऑक्सीजन की कमी ने पटनावासाियों को दिखाई नई राह, कोरोना ने बढ़ाया घरों में हरियाली प्रेम

कोरोना की दूसरी लहर से सबक लिए लोगों ने ऑक्सीजन की कमी और इसके लिए मचे हाहाकार के बाद अपनी सेहत को दुरुस्त रखने का सबक सीख लिया है. इसके लिए लोगों ने ऑक्सीजन को घरों में ही सहेजना शुरू कर दिया है. यही वजह है कि घरों में ऑक्सीजन प्लांट की डिमांड बढ़ी है. लोग घरों में ऐसे इनडोर प्लांट्स लगा रहे हैं जो ज्यादा से ज्यादा ( Oxygen Produced Plants )ऑक्सीजन देते हों.

ऑक्सीजन की कमी ने दिखाई लोगों को नई राह
ऑक्सीजन की कमी ने दिखाई लोगों को नई राह

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Published : Nov 29, 2021, 8:41 AM IST

पटना: यूं तो ऑक्सीजन जीवन के लिए बेहद जरूरी है, लेकिन कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी और इसके लिए मचे हाहाकार से लोगों ने अपनी सेहत को दुरुस्त रखने का सबक सीखा है. इसके लिए लोगों ने ऑक्सीजन (Oxygen Produced Plants) को घरों में ही सहेजना शुरू कर दिया है. यही वजह है कि पटनावासियों ने संकट काल में शिद्दत से ऑक्सीजन की कमी को महसूस किया और अब घरों में ऑक्सीजन प्लांट की डिमांड बढ़ी है. भविष्य के खतरे को देखते हुए लोग प्लांटेशन को लेकर जागरूक हो गए हैं. खासकर महिलाओं ने घरों में प्लांटेशन का (Oxygen Plants Being Installed in Homes ) बीड़ा उठा लिया है.


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कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की कमी से टूटती सांसों से लोगों ने बड़ा सबक लिया. इसकी की महत्ता को समझते हुए करीब हर परिवार अपने आशियाने को फुलवारी से हरियाली कर रहा है. हालांकि इसके लिए सरकारी स्तर पर तो प्रयास किए जा ही रहे हैं, गैर सरकारी स्तर पर भी अब लोग प्रयास कर रहे हैं. खास तौर पर राजधानी पटना के लोगों की लाइफस्टाइल में काफी बदलवा आया है. लोग घरों और अपार्टमेंट प्लांटेशन कर रहे हैं. खास तौर पर वैसे पौधों को लगा रहे हैं जो 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ते हैं.

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दरअसल तुलसी, एरिकेरिया, स्नेक प्लांट और मनी प्लांट ऐसे पौधे हैं जो 24 घंटे ऑक्सीजन देते हैं. राजधानी पटना की आधी आबादी ने वातावरण को शुद्ध करने का बीड़ा उठाया है. वातावरण शुद्ध हो और लोगों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिले इसके लिए प्लांटेशन मजबूत विकल्प है. महिलाओं ने इसे खास पर अपनाना भी शुरू कर दिया है. ईटीवी भारत की टीम ने ऐसी कई महिलाओं से बातचीत की. कोरोना काल में अपने लोगों को खो चुकी अमरीन अब घरों में प्लांटेशन पर काफी जोर दे रही है. महमारी ने अमरीन को पर्यावरण के प्रति और भी संजीदा बना दिया.

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ईटीवी भारत से बातचीत में अमरीन ने बताया कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर में मैंने अपनों को खोया है. उस दर्द को मैं समझ सकती हूं. ऑक्सीजन की कमी के वजह से कितनों लोगों ने दम तोड़ दिया था. अगर हम लोग पहले से जागरूक होते और अपने घरों में पेड़ पौधे लगाए होते तो हालात इतने बदतर नहीं होते. अमरीन ने कहा कि मैंने 400 से ज्यादा पौधे अपने घरों में लगाए हैं. उसमें से ज्यादातर पौधे ऐसे हैं जो 24 घंटे ऑक्सीजन छोड़ते हैं. आस पड़ोस के लोग भी पौधों से लाभ ले सकते हैं.

'कोरोना महामारी की दूसरी के बाद बने हालातों के बाद लोग अपने घरों में भी आसपास के वातावरण को शुद्ध रखने के लिए घरों में प्लांट्स का खूब यूज कर रहे हैं. हालात से निपटने हैं का विकल्प एक ही है कि लोग ज्यादा से ज्यादा संख्या में पेड़ पौधे लगाएं. मैंने अपने छोटे से घर के हर तल्ले पर पौधे लगा रखे हैं. हमारे घर में ऐसे भी पौधे हैं. कई प्लांट बगैर सूर्य के रोशनी के फल फूल सकते हैं।.कुल मिलाकर हमने 500 से ज्यादा पौधे हमने घर में लगाए हैं. हर रोज में 2 से 3 घंटे पौधों के लिए समय देती हूं.':- मधुबाला, प्रोफेसर

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पेशे से शिक्षक इंदु उपाध्याय ने बताया कि भी अपने घरों में सैकड़ों की तादाद में पौधे लगा रखे हैं. उनका मानना है कि पेड़ पौधे हमारे बच्चे की तरह हैं. अगर हम उन्हें बच्चों की तरह लालन-पालन देंगे तो वह भी माता-पिता की तरह हमें फल देंगे.

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