पटनाःलोजपा (LJP) में जारी सियासी घमासान के बीच खबर है कि रामविलास पासवान (Ram Vilas Paswan) के बेटे और जमुई से सांसद चिराग पासवान (Chirag Paswan) जल्द ही पटना आयेंगे.
बता दें कि इससे पहले रविवार को चिराग ने दिल्ली में कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी. इस बैठक के जरिए चिराग पासवान ने शक्ति प्रदर्शन भी किया. इस बैठक में चिराग ने अपने नेताओं को पार्टी के साथ खड़े रहने की शपथ दिलाई.
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बिहार आकर चिराग करेंगे संघर्ष यात्रा
दिल्ली में कार्यकारिणी की बैठक के बाद अब चिराग पासवान बिहार में आकर पार्टी पर अपने दावे को मूजबूत करने की कोशिश करेंगे. उनके पटना आने की जानकारी लोजपा प्रवक्ता चंदन सिंह (LJP Spokesperson Chandan Singh) ने दी है. उन्होंने ने कहा कि आज राष्ट्रीय कार्यकारिणी समिति की बैठक में सर्वसम्मति से चिराग पासवान के प्रति विश्वास व्यक्त किया गया है.
चिराग पासवान 1 से 2 दिनों में पटना आएंगे और यहां भी पार्टी नेताओं के साथ बैठक करेंगे. लोजपा प्रवक्ता ने कहा कि उसके बाद हाजीपुर (Hajipur) से संघर्ष यात्रा की शुरुआत चिराग पासवान के नेतृत्व में होगी.
पहले ही बिहार आ चुके हैं पारस
इधर,चिराग के बिहार आने की बात हो रही है, लेकिन उनके चाचा बिहार की राजधानी के शहीद पीर अली मार्ग बीआईटी कैंपस स्थित पार्टी के दफ्तर में पहुंचकर पहले ही अपना दावा मजबूत कर चुके हैं. ऐसे में ये देखने वाली बात होगी जब चिराग बिहार पहुंचेंगे तो नजारा क्या होगा?
कार्यकारिणी की बैठक में क्या हुआ?
अपने चाचा के बने-बनाए प्लान को बिगाड़ने के लिए अब चिराग भी एक्शन मोड में आ गए हैं. चिराग ने आज सुबह ही दिल्ली में चिराग ने पार्टी के कार्यकारिणी की बैठक की. इस बैठक में चिराग गुट के लोगों ने पशुपति पारस और उनके गुट के लोगों के द्वारा पार्टी सिंबल और नाम इस्तेमाल करने पर कड़ी आलोचना की. बैठक में रामविलास पासवान अमर रहे के नारे लगे और उन्हें भारत रत्न देने की मांग भी रखी गई.
अब तक क्या हुआ...
गौरतलब है कि शनिवार को चिराग पासवान ने प्रतिनिधि मंडल के साथ लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से मुलाकात कर संसदीय दल के नेता चयन को लेकर अपना पक्ष रखा था. चिराग ने दावा किया है कि राष्ट्रीय कार्यकारिणी के 90 फीसदी से अधिक सदस्य उनके साथ हैं.
उन्होंने लोकसभा स्पीकर से पारस गुट के दावे को स्वीकारने के फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की. चिराग की दलील है कि पार्टी का संसदीय बोर्ड ही संसद में अपने नेता के बारे में फैसला कर सकता है.
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वहीं, शनिवार को ही पशुपति कुमार पारस ने एक बयान जारी कर पार्टी की अन्य सभी शाखाओं को भंग करने की बात कही है. गौरतलब है कि यह फैसला दिल्ली में चिराग पासवान के नेतृत्व वाले समूह की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाए जाने से ठीक एक दिन पहले ही लिया गया.
यही नहीं, नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी का ऐलान भी कर दिया गया. इसमें पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर पारस, सभी चार सांसदों और उनके करीबी पार्टी पदाधिकारियों को भी शामिल किया गया है.
कब क्या हुआ
- 13 जून: लोजपा के 5 सांसदों ने पशुपति पारस को अपना नेता चुना. उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ संसदीय दल के नेता का दायित्व सौंपा. राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को सभी पदों से हटा दिया गया.
- 14 जून: लोकसभा सचिवालय ने चिराग की जगह पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता चुने जाने की अधिसूचना जारी की.
- 15 जून: चिराग ने लोजपा के पांच सांसदों (पशुपति पारस, चंदन सिंह, चौधरी महबूब अली कैसर, प्रिंस राज और वीणा सिंह) को पार्टी से बाहर कर दिया. दूसरी ओर पशुपति पारस गुट ने सूरजभान सिंह को राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया.
- 16 जून: चिराग ने प्रिंस की जगह राजू तिवारी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया.
- 17 जून: पशुपति पारस राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने गए.
- 18 जून: पशुपति पारस ने पार्टी की राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर की सभी कमेटियों और प्रकोष्ठ को भंग कर दिया. नई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की घोषणा कर दी.