नई दिल्ली : माइक्रोसॉफ्ट, मेटा, गूगल, एक्स, अमेजन और ओपनएआई जैसी 20 प्रमुख टेक कंपनियों ने इस साल भारत सहित दुनिया के अन्य देशों में चुनावों में भ्रामक एआई कंटेंट और डीपफेक को रोकने में मदद करने का वादा किया है. इस साल 40 से ज्यादा देशों के चार अरब से अधिक लोग मतदान करेंगे. म्युनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस- MSC में, कंपनियों ने 2024 के चुनावों में एआई के भ्रामक उपयोग ( Deepfakes use during elections ) से निपटने के लिए टेक समझौते पर हस्ताक्षर किए.
उन्होंने एक बयान में कहा, "2024 के चुनावों में AI के भ्रामक उपयोग से निपटने के लिए टेक समझौता मतदाताओं को धोखा देने के लिए बनाई गई हानिकारक एआई-जनरेटेड कंटेंट का मुकाबला करने के लिए टेक्नोलॉजी को तैनात करने की प्रतिबद्धताओं का एक सेट है.'' समझौते में डिजिटल कंटेंट में एआई-जनरेटेड ऑडियो, वीडियो और इमेज शामिल हैं जो लोकतांत्रिक चुनाव में राजनीतिक उम्मीदवारों, चुनाव अधिकारियों और अन्य प्रमुख हितधारकों की उपस्थिति,आवाज या कार्यों को भ्रामक रूप से बदल देती हैं, या गलत जानकारी प्रदान करती हैं.
समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में एडोब, अमेजन, एंथ्रोपिक, आर्म, इलेवनलैब्स, गूगल, आईबीएम, इन्फ्लेक्शन एआई, लिंक्डइन, मैक्एफी, मेटा, माइक्रोसॉफ्ट, नोटा, ओपनएआई, स्नैप इंक, स्टेबिलिटी एआई, टिकटॉक, ट्रेंड माइक्रो, ट्रूपिक और एक्स शामिल हैं. गूगल में वैश्विक मामलों के अध्यक्ष केंट वॉकर ने कहा, "गूगल सालों से चुनावी अखंडता का समर्थन कर रहा है और यह समझौता चुनावी गलत सूचना के खिलाफ उद्योग पक्ष की प्रतिबद्धता को दर्शाता है."