हैदराबाद: अगर आप कभी भी भारत के एस्टोनॉट्स यानी अंतरिक्ष यात्री को याद करते हैं तो आपके दिमाग में कल्पना चावला का नाम जरूरत आता होगा. कल्पना चावला भारत में जन्मी अमेरिकन एस्ट्रोनॉट थीं, जो अंतरिक्ष की यात्रा करने वाली भारत की पहली महिला और राकेश शर्मा के बाद दूसरी भारतीय एस्ट्रोनॉट थी. हम जब भी कल्पना चावला का नाम सुनते हैं तो हमारे दिमाग में उनके साथ हुए उस भयानक हादसे की याद आती है, जो 1 फरवरी, 2003 यानी आज से ठीक 22 साल पहले हुई थी. आज कल्पना चावला की 22वीं पुण्यतिथि है और इस मौके पर हम आपको उनके जन्म से लेकर दुखद मृत्यु तक की पुरी कहानी बताते हैं.
कल्पना चावला का शुरुआती जीवन
कल्पना का जन्म 17 मार्च 1962 को भारत के हरियाणा में स्थित करनाल में हुआ था. उनके पिता का नाम बनारसी लाल चावला और मां का नाम सनज्योथि चावला था. कल्पना के चार भाई-बहन थे और वह उन्में सबसे छोटी थी. स्कूल की शुरुआत होने तक, उनके माता-पिता ने आधिकारिक नाम नहीं रखा था. उनके पेरेंट्स उन्हें मोंटू कह कर पुकारते थे, लेकिन जब उन्होंने अपने पहले स्कूल में ए़डमिशन लिया, तब उनका नाम कल्पना चावला रखा गया. उन्होंने तीन साल की उम्र में पहली बार एक हवाई जहाज को देखा था और तभी से उन्हें उड़ने में काफी इंटरेस्ट रहने लगा था. वह अपने पिता के साथ एक लोकल फ्लाइंग क्लब में जाकर समय बिताया करती थीं. इस तरह से उन्होंने बचपन से ही एविएशन यानी हवाई वाहन में रुचि दिखानी शुरू कर दी थी.
कल्पना चावला के पहले स्कूल का नाम टैगोर बाल निकेतन सीनियर सेकेंडरी स्कूल था, जो करनाल में ही है. स्कूलिंग के बाद कल्पना ने पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली. इस कोर्स को चुनते वक्त कई प्रोफेसर्स ने कल्पना को कहा था कि वो इस कोर्स को ना करें क्योंकि भारत में महिलाओं के लिए इस फील्ड में काफी अवसर उपलब्ध नहीं है, लेकिन वो नहीं मानी और अपने सपने के पीछे दौड़ती रहीं.
भारत से अपनी इंजीनियरिंग पूरी करने के बाद कल्पना चावला 1980 के दशक में अमेरिका चली गई और वहां से अपनी पढ़ाई को आगे बढ़ाने के लिए वहां की नेचुरलाइज़्ड नागरिक बन गईं. उन्होंने टेक्सास विश्वविद्यालय (University of Texas) से अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त की और 1988 में कोलोराडो विश्वविद्यालय से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में डॉक्टरेट (University of Colorado) की उपाधि भी प्राप्त की.
1988 में, कल्पना चावला ने NASA एम्स रिसर्च सेंटर में पावर्ड-लिफ्ट कम्प्यूटेशनल फ्लूइड डायनेमिक्स के क्षेत्र में काम करना शुरू किया था.
उनकी रिसर्च कॉम्प्लेक्स एयर फ्लो की सिमुलेशन पर केंद्रित था, जो हेरियर जैसे विमान के आसपास "ग्राउंड-इफेक्ट" में पाया जाता है.
1993 में कल्पना चावला ओवरसेट मेथड्स इंक, लॉस अल्टोस, कैलिफोर्निया में वाइस प्रेसिडेंट और रिसर्च साइंटिस्ट के रूप में शामिल हुईं.
उन्हें एयरोडायनामिक ऑप्टिमाइज़ेशन को पूरा करने के लिए बेहतर टेक्नोलॉजी के डेवलपमेंट और उसे इंप्लीमेंट करने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी. इनके अलावा भी उन्होंने अपने छोटे से जीवन में नासा और स्पेस साइंस के क्षेत्र में काफी खास योगदान दिए.
कल्पना चावला की शादी
कल्पना चावला ने 1983 में फ्रांस के रहने वाले जीन-पियरे हैरिसन से शादी की. वह फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर और विमानन लेखक (Aviation Author) थे. कल्पना जब अमेरिका में पढ़ रही थीं, तब उनकी मुलाकात जीन-पियरे हैरिसन से हुई थी. कल्पना के पति ने उनके एस्ट्रोनॉट बनने वाले सपने का समर्थन किया और हमेशा उनके साथ खड़े रहे.
नासा में कल्पना चावला का अनुभव
- कल्पना चावला को दिसंबर 1994 में NASA द्वारा एस्ट्रोनॉट के रूप में चुना गया था.
- उन्होंने मार्च 1995 में जॉनसन स्पेस सेंटर में एस्ट्रोनॉट उम्मीदवार के रूप में रिपोर्ट की थी.
- उन्होंने एक साल का प्रशिक्षण और मूल्यांकन पूरा किया था.
- उसके बाद उन्हें टेक्निकल मामलों पर काम करने के लिए क्रू मेंबर के रूप में नियुक्त किया गया था.
- उन्होंने रोबोटिक सिचुएशनल अवेयरनेस डिस्प्ले के डेवलपमेंट और स्पेस शटल कंट्रोल सॉफ़्टवेयर की टेस्टिंग पर काम किया था.
- नवंबर 1996 में, उन्हें STS-87 मिशन स्पेशलिस्ट और प्राइम रोबोटिक आर्म ऑपरेटर के रूप में नियुक्त किया गया था.
- जनवरी 1998 में, उन्हें शटल और स्टेशन फ्लाइट क्रू डिवाइस के लिए क्रू रिप्रजेंटटेटिव के रूप में नियुक्त किया गया. उस वक्त वह क्रू सिस्टम्स और हैबिटेबिलिटी सेक्शन की हेड बनीं.
- उन्होंने STS-87 (1997) और STS-107 (2003) मिशनों पर उड़ान भरी, और अंतरिक्ष में कुल 30 दिन, 14 घंटे और 54 मिनट का समय बिताया.
कल्पना चावला का आखिरी मिशन
- 2000 में, कल्पना चावला को उनके दूसरे स्पेस मिशन, STS-107 के लिए मिशन स्पेशलिस्ट के रूप में चुना गया.
- इस मिशन की तैयारी काफी पहले से की गई थी, लेकिन इसकी शुरुआत करने में बार-बार देरी हुई. आखिरकार, 16 जनवरी 2003 को STS-107 मिशन लॉन्च हुआ, जिसकी स्पेशलिस्ट कल्पना चावला थी.
- STS-107 मिशन में 16 दिनों की उड़ान के दौरान, क्रू मेंबर्स ने 80 से ज्यादा प्रयोग किए. उनमें से कई प्रयोग कठिन शिफ्ट के दौरान किए गए ताकि रिसर्च जारी रह सके.
- STS-107 के क्रू मेंबर्स ने उस टेक्नोलॉजी की टेस्टिंग की, जिसके जरिए नासा नए इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) पर वाटर रिसाइकल करना चाहता था. उन्होंने इसके अलावा भी कई प्रयोग किया था.
- उस फ्लाइट में शटल के पेलोड बे के अंदर स्पेसहैब (Spacehab) नाम का एक बड़ा प्रेसराइज्ड चेंबर था. स्पेसहैब मॉड्यूल में किए गए प्रयोगों ने जीव विज्ञान और स्वास्थ्य विज्ञान पर ध्यान केंद्रित किया था.