हैदराबाद: ईरान की सरकार ने मंगलवार को घोषणा की कि उसने व्हाट्सएप और गूगल प्ले स्टोर पर लगाया गया दो साल का प्रतिबंध हटा लिया है. ईरान सरकार का यह कदम उनके देश में सोशल मीडिया और इंटरनेट के इस्तेमाल पर लगे कई प्रतिबंधों को हटाने की ओर में एक महत्वपूर्ण कदम है.
आधिकारिक इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज एजेंसी (IRNA) की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन समेत देश के कई अन्य शीर्ष सरकारी अधिकारियों ने मिलकर एक बैठक की, जिसमें व्हाट्सएप और गूगल प्ले स्टोर पर लगे बैन को हटाने का फैसला लिया गया.
ईरान में हटा व्हाट्सएप और गूगल प्ले बैन
ईरान के इंफोर्मेशन एंड कम्यूनिकेशन मिनिस्टर सत्तार हाशमी ने इस बात पर जोर दिया कि यह फैसला देश में इंटरनेट की जरूरत को समझते हुए सरकार की अलग-अलग विभागों के मिलकर काम करने का नतीजा है. सत्तार हाशमी ने 'एक्स' (पुराना नाम ट्विटर) पर किए गए अपने पोस्ट में लिखा कि, यह आगे और भी प्रतिबंधों को हटाने की ओर "पहला कदम" है. इससे भविष्य में इंटरनेट एक्सेस में राहत मिलने की उम्मीद दिखाई दे रही है.
ईरान सरकार के द्वारा व्हाट्सएप और गूगल प्ले स्टोर पर लगे बैन को हटाने के बाद वहां के कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाएं व्यक्त की है. यूज़र्स के मुताबिक उन्हें इन प्लेटफॉर्म्स का एक्सेस फिर से मिल गया है, लेकिन वो अभी तक उनके सभी फंक्शन्स का पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पा रहे हैं और इसमें थोड़ा वक्त लग सकता है.
आपको बता दें कि ईरान में व्हाट्सएप और गूगल प्ले स्टोर से बैन हटाने का यह कदम, वहां के नए राष्ट्रपति पेझेश्कियन के चुनावी वादों में से एक है. राष्ट्रपति चुनावों के दौरान उन्होंने अपने वादों की लिस्ट में डिजिटल फ्रीडम को भी रखा था. उनका कहना था कि वो ईरान में डिजिटल फ्रीडम को बढ़ावा देंगे. अब उन्होंने व्हाट्सएप और गूगल प्ले स्टोर की सेवाओं को देश में फिर से चालू कर दी है और ईरानी अधिकारियों ने यह भी कहा है कि वो स्थानीय प्लेटफार्म्स को बढ़ावा देने के साथ-साथ विदेशी सेवाओं को फिर से लाने की कोशिश करेंगे. ऐसे में अब लग रहा है कि ईरानी सरकार देश में जनता की बढ़ती मांग को देखते हुए डिजिटल कंडीशन को बेहतर करने के साथ-साथ उन्हें ग्लोबल कम्युनिकेशन टूल्स का एक्सेस भी देना चाह रही है.
इंटरनेट सेंसरशिप का पुराना इतिहास
2022 में ईरान में व्हाट्सएप और गूगल प्ले स्टोर पर बैन उस समय लगाया गया था जब देशभर में महसा अमिनी की मौत के बाद बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए थे. महसा अमिनी को ईरान की मोरलिटी पुलिस ने गिरफ्तार किया था, क्योंकि वह कथित तौर पर ईरान के कड़े ड्रेस कोड कानून का उल्लंघन कर रही थीं. उनकी मौत के बाद, ईरान में महिलाओं के अधिकारों और सरकार की नीतियों के खिलाफ कड़े प्रदर्शन हुए, जो जल्दी ही एक बड़े आंदोलन में बदल गए. सरकार ने इन प्रदर्शनों को दबाने, सूचना के प्रवाह को रोकने और नागरिकों के बीच संपर्क को नियंत्रित करने के लिए कई कड़े कदम उठाए, जिसमें इंटरनेट सर्विसेज़ को सीमित करना, व्हाट्सएप और गूगल प्ले स्टोर जैसे कई बड़े सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर बैन आदि लगाना भी था.
ईरान में इंटरनेट सेंसरशिप का इतिहास काफी पुराना है. व्हाट्सएप से पहले 2009 में फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब जैसे लोकप्रिय सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स पर भी बैन लगाया था. हालांकि, ईरान के लोग अक्सर इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करने के लिए वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क यानी VPN का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में ईरान के नए राष्ट्रपति द्वारा सोशल मीडिया रिस्ट्रिक्शन को कम करने या खत्म करने की शुरुआत, वहां की जनता को काफी पसंद आ सकती है.