जोधपुरी साफा संस्कृति बचाने की मुहिम (ETV Bharat Jodhpur) जोधपुर.अगर आपको भारतीय संस्कृति का जोधपुरी प्रतीक साफा बांधना सीखना है तो मात्र दो मिनट में सीख सकते हैं. जोधपुर में ख्यातनाम साफा प्रशिक्षक मनोज बोहरा इस काम में पिछले दो दशक से लगे हैं. उन्होंने कहा कि साफा बांधने के पेच को समझना दो मिनट का काम है, बाकी अभ्यास करते-करते साफा बांधने में सफाई आ जाती है.
बोहरा ने बताया कि जोधपुरी साफा हमारी आन बान शान का प्रतीक है. यह बांधना आना जरूरी है. आज यह कला लोगों के रोजगार का आधार बन गई है. बोहरा सिवांची गेट स्थित भूतनाथ महादेव मंदिर परिसर के पार्क में पुष्करणा सृजन सोसायटी के तत्वावधान में साफा प्रशिक्षण शिविर का आयोजन करते हैं, जिसमें युवाओं, बच्चों और बुजुर्ग उत्साह के साथ साफा बांधना सीखने आते हैं. सोसाइटी के अध्यक्ष आनंद राज व्यास ने बताया कि अपने संस्कारों और संस्कृति को बनाए रखने के लिए हमारा यह प्रयास लगातार जारी है. भारतीय संस्कृति विशेषकर मारवाड़ में बांधे जाने वाला साफा बांधना आना सबको जरूरी है.
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साफा हर खुशी का प्रतीक, बांधना आना जरूरी :साफा सीखने आए प्रवीण सोनी ने बताया कि जब पीएम नरेंद्र मोदी जोधपुरी साफा बांध कर लाल किले पर आते हैं तो सबको गर्व होता है. ऐसे में मैंने भी तय किया कि साफा बांधना आना चाहिए. प्रवीण की पुत्री और पत्नी भी साफा बांधना सीख रही हैं. पारुल ने बताया कि यह साफा हमारे सम्मान का प्रतीक है. शादी विवाह में इसकी जरूरत सबसे ज्यादा जरूरत महसूस होती है. परिवार में किसी को भी साफा बांधना आता है तो उसकी पूछ बढ़ जाती है.
साफा बांधना भी रोजगार :जोधपुर में साफा के कई शो रूम हैं. इसके अलावा बड़े समारोह में साफा बांधने के लिए लोगों को बुलाया जाता है जो प्रत्येक व्यक्ति के सिर पर साफा बांधने के लिए चार्ज लेते हैं. इतना ही नहीं जोधपुरी साफा यहां से बनकर विदेश एक्सपोर्ट भी किया जाने लगा है. ऐसे में सहज रूप से साफ का महत्व समझा जा सकता है.