जयपुर : साल 2024 का समापन खट्टी-मीठी यादों और नई उम्मीदों के साथ हो रहा है. नया साल नई संभावनाओं और सपनों का दामन थामे आ रहा है. राजस्थान में 2023 कई राजनीतिक हलचलों और बदलावों का गवाह बना. साल के अंत तक प्रदेश की सत्ता में बदलाव हुआ और भाजपा ने प्रदेश की कमान संभाल ली. भजनलाल शर्मा ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और सरकार के पहले साल में कई नीतिगत बदलाव किए. इनमें सबसे ज्यादा चर्चा योजनाओं के नाम बदलने को लेकर हुई.
11 माह में 10 योजनाओं के नाम बदले :मुख्यमंत्री भजनलाल सरकार ने सत्ता संभालने के बाद योजनाओं की समीक्षा शुरू की. एक साल के भीतर करीब एक दर्जन योजनाओं के नाम बदले दिए गए. इन बदलावों का उद्देश्य सरकारी योजनाओं को नए संदर्भ और प्राथमिकताओं से जोड़ना बताया गया, लेकिन इसे राजनीतिक रंग भी मिला. कांग्रेस और भाजपा के बीच इस मुद्दे पर जमकर बयानबाजी हुई. नवंबर 2024 में इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना का नाम बदलकर मुख्यमंत्री शहरी रोजगार गारंटी योजना कर दिया गया. इस योजना का बजट 800 करोड़ रुपए है और इसे शहरी बेरोजगारों के लिए शुरू किया गया था. इस बदलाव पर कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी. पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने इसे “महापाप” करार दिया. उन्होंने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने योजना का नाम बदलने के साथ रोजगार के अवसर भी खत्म कर दिए.
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इंदिरा गांधी के नाम वाली योजनाओं में बदलाव :भजनलाल सरकार ने अक्टूबर में महिला एवं बाल विकास विभाग की सात योजनाओं के नाम बदल दिए. इन योजनाओं में इंदिरा गांधी के नाम को हटाकर कालीबाई भील और पन्नाधाय जैसे नाम जोड़े गए. इनमें "इंदिरा महिला शक्ति उड़ान योजना" और "इंदिरा महिला शक्ति जागरूकता शिक्षा कार्यक्रम" को मर्ज कर "कालीबाई भील संबल योजना" बनाया गया. इसी तरह "इंदिरा महिला शक्ति प्रशिक्षण एवं कौशल संवर्धन योजना" और "इंदिरा महिला शक्ति उद्यम प्रोत्साहन योजना" को मिलाकर "मुख्यमंत्री नारी शक्ति प्रशिक्षण एवं कौशल संवर्धन योजना" बनाया गया. "इंदिरा महिला शक्ति सम्मान एवं प्रोत्साहन योजना" और "इंदिरा महिला शक्ति केंद्र योजना" को जोड़कर "पन्नाधाय सुरक्षा एवं सम्मान योजना" का नाम दिया गया. भाजपा का कहना है कि इन बदलावों से जनता के बीच सकारात्मक संदेश जाएगा और राजस्थान की महान महिलाओं को सम्मान मिलेगा.