श्रीनगर:उत्तराखंड राज्य 25 वें साल में प्रवेश कर गया है. उत्तराखंड राज्य बनाने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा था. जिसमें कई लोगों ने अपना बलिदान भी दिया था. आज से ठीक 29 साल पहले 10 नवंबर 1995 को श्रीनगर के श्रीयंत्र टापू में यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत ने भी अपने प्राणों की आहुति दी. इसके साथ इसी जगह पर 52 लोगों को पुलिसिया बर्बरता का सामना भी करना पड़ा था. जिसमें सभी लोग बुरी तरह घायल हो गए थे. घायल अवस्था में ही तत्कालीन यूपी पुलिस ने इन्हें जेल में भी डाल दिया था.
राज्य आंदोलनकारी देवेंद्र फर्स्वाण ने खोले 'ऑपरेशन जाफना' के राज:आज इस घटना को 29 साल हो गए हैं. इसी कड़ी में यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत की शहादत की बरसी पर इस घटना के प्रत्यक्षदर्शियों ने उस दिन का पूरा हाल बताया और 'ऑपरेशन जाफना' के राज भी खोले. राज्य आंदोलनकारी डॉक्टर देवेंद्र फर्स्वाण ने बताया कि उत्तर प्रदेश से अलग एक राज्य बनाने की मांग को लेकर उत्तराखंड के हर हिस्से में आंदोलन हो रही थी. श्रीनगर में भी आंदोलन अपने चरम पर था. राज्य आंदोलनकारी किशनपाल परमारऔर दौलत राम पोखरियाल के नेतृत्व में आंदोलनकारी भूख हड़ताल पर थे.
रात में नावों पर सवार होकर आई थी पुलिस, आंदोलनकारियों को बुरी तरह से पीटा:सभी आंदोलनकारी श्रीयंत्र टापू में शांतिपूर्वक अपना आंदोलन कर रहे थे. तभी अचानक देर रात यूपी पुलिस नावों के जरिए टापू पर पहुंची और आंदोलनकारियों को लाठी बरसाने लगी. उस घटना के दौरान आंदोलन पर देवेंद्र फर्स्वाण भी बैठे हुए थे. राज्य आंदोलनकारी देवेंद्र फर्स्वाण बताते हैं कि अचानक से 2 से 3 बजे के बीच यूपी पुलिस आंदोलन स्थल पहुंची और आंदोलनकारियों पर लाठी-डंडे से पीटने लगी.
यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत नदी में बहे:इस दौरान पुलिस के कुछ जवान यशोधर बेंजवाल और राजेश रावत के पीछे भागे. जिसके बाद उन्हें पकड़ कर बुरी तरह पीटने लगे. दोनों अलकनंदा नदी की तरफ जाने लगे. इतना ही नहीं उन्हें नदी में पकड़कर मारा और पीटा गया. जिसके बाद वे नदी में बहते चले गए. ठीक एक हफ्ते बाद दोनों का शव बागवान के पास बरामद हुआ. उन्होंने बताया कि पुलिस ने इस ऑपरेशन को 'ऑपरेशन जाफना' नाम दिया था.