शिमला:हर साल 19 अप्रैल को विश्व लिवर दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस उद्देश्य लोगों को लिवर की समस्या को लेकर जागरूक करना होता है. वहीं, हिमाचल की बात करें तो यहां भी लिवर की समस्या से कई मरीज जूझ रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में फैटी लिवर की समस्या बढ़ती जा रही है. यानी हमारे लिवर में बसा अधिक मात्रा में होना यह कई बीमारियों का जड़ भी है. इस संबंध में आईजीएमसी में गैस्ट्रोलॉजी विभाग में प्रोफेसर डॉ राजेश शर्मा ने बताया कि हिमाचल में उनकी ओपीडी में आने वाले 30 फीसदी लोगों के लिवर फैटी रहते हैं, जो आगे चलकर कहीं बीमारियों का जड़ बना जाता है. इसमें लिवर सिकुड़ने लगता है, जिससे कैंसर भी हो सकता है. उन्होंने बताया कि आईजीएमसी में सप्ताह में दो, तीन दिन ही गैस्ट्रो की ओपीडी होती है. जिसमें 2 से 3 मरीज फैटी लिवर के होते हैं.
मानव शरीर में लिवर की भूमिका:डॉ राजेश शर्मा ने बताया कि हमारे शरीर में मौजूद सभी अंग बेहद महत्वपूर्ण होते हैं. शरीर के इन्हीं जरूरी अंगों में से एक लिवर भी है, जो कई सारे कार्यों में अहम भूमिका निभाता है. लिवर शरीर का सबसे अहम अंग होता है, जो शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है. इतना ही नहीं यह भोजन पचाने के साथ ही अन्य कई जरूरी कार्यों में भी लिवर अहम भूमिका निभाता है.
OPD में 30 फीसदी फैटी लिवर के मरीज: डॉ राजेश शर्मा ने कहा कि पहले लोग पैदल चलते थे, अधिक काम करते थे. जिससे पसीना निकलता था और वसा निकल जाता था, लेकिन अब आधुनिक युग में लोगों का पैदल चलना काम होता जा रहा है. गांव में भी लोग अब पहले के अपेक्षा शारीरिक काम कम करते हैं, जिससे उनके लिवर में बसा इकट्ठा होता जाता है. लिवर में 5 फीसदी से अधिक वसा को फैटी लिवर कहते हैं. महीने में 100 से 120 मरीजों की ओपीडी होती है. जिसमे 30 फीसदी मरीज फैटी लिवर के होते हैं, जो एक चिंता का विषय बनता जा रहा है.