भरतपुर.सिर की त्वचा सूखी लगे, त्वचा की क्षति होने लगे, आंखों की समस्या, त्वचा लाल व चिकनी होने लगे तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पहुंचकर जांच कराएं. ये कुष्ठ के प्रारंभिक लक्षण हो सकते हैं. यह कोई देवीय प्रकोप नहीं बल्कि बैक्टीरिया जनित संक्रमण है, जिसका उपचार संभव है. समय पर उपचार लिया जाए तो इस बीमारी से होने वाली शारीरिक विकृतियों से बचा जा सकता है. प्रदेश में बीते 1 साल में समय पर बेहतर उपचार की वजह से 645 मरीज स्वस्थ हो चुके हैं. वहीं भरतपुर समेत प्रदेश भर में अभी भी 871 मरीजों का उपचार चल रहा है. आइए विश्व कुष्ठ रोग दिवस पर इस बीमारी के बारे में जानते हैं.
ये हैं प्रारंभिक लक्षण :उप मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (स्वास्थ्य) और कुष्ठ रोग नोडल अधिकारी डॉ. असित श्रीवास्तव ने बताया कि कुष्ठ रोग को लेकर लोगों में कई प्रकार की भ्रांतियां हैं, लेकिन हकीकत में यह बीमारी माइकोबैक्टीरिया लेप्राई या माइकोबैक्टीरियम लेप्रोमैटोसिस बैक्टीरिया से होने वाला संक्रमण है. कुष्ठ रोग के प्रारंभिक लक्षणों को पहचानना जरूरी है. इनमें -
- सिर की त्वचा सूखने लगती है.
- त्वचा को नुकसान होने लगता है.
- आंखों में समस्या होने लगती है.
- कान, हाथ की त्वचा लाल व चिकनी होने लगती है.
- त्वचा पर लाल धब्बे पड़ना शुरू हो जाते हैं.
- हाथ पैर की उंगलियां विकृत होने लगती हैं.
- त्वचा संवेदना शून्य होने लगती है.
यदि समय पर उपचार नहीं लिया जाए तो यह बीमारी बढ़ जाती है. डॉ असित श्रीवास्तव ने बताया कि यदि मरीज समय रहते चिकित्सकीय परामर्श पर उपचार लेना शुरू कर देता है तो 6 से 12 माह तक उसका उपचार चलता है. समय पर उपचार से मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो सकता है. यदि समय पर उपचार नहीं लिया गया तो शरीर में विकृति बढ़ जाती हैं. बाद में उपचार से बीमारी तो ठीक हो जाती है लेकिन शारीरिक विकृति दूर नहीं हो पाती.