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स्तनपान के लिए जागरूकता सप्ताह, माताएं ऐसे रखें शिशुओं का ख्याल - World Breastfeeding Week

इस साल विश्व स्तनपान सप्ताह 1 अगस्त गुरुवार से लेकर 7 अगस्त बुधवार तक मनाया जा रहा है. हर साल अगस्त के पहले सप्ताह में दुनिया भर में स्तनपान को लेकर जागरूकता फैलाने के मकसद से कई कार्यक्रम होते हैं. खास तौर पर कामकाजी महिलाओं को शिशुओं की देखभाल के लिए जागरूक करने के मकसद से स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है.

विश्व स्तनपान दिवस
विश्व स्तनपान दिवस (फोटो ईटीवी भारत जयपुर)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 3, 2024, 12:20 PM IST

माताएं ऐसे रखें शिशुओं का ख्याल (वीडियो ईटीवी भारत जयपुर)

जयपुर.डाइटिशियन नेहा यदुवंशी के अनुसार ब्रेस्ट फीडिंग करवाने वाली माताएं अपने शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य के लिए अपनी सेहत का ध्यान रखते हुए ब्रेस्ट फीडिंग को इंप्रूव कर सकती हैं. उनके अनुसार ब्रेस्ट फीडिंग किसी भी शिशु की सेहत और न्यूट्रीशन वैल्यू के लिए अत्यधिक आवश्यक है, ऐसे में इस दिशा में स्तनपान करवाने वाली माता को विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है. स्तनपान करवाने वाली माताओं को किस तरह से अपने खान-पान का ध्यान रखना चाहिए, इस बारे में उन्होंने जानकारी दी.

खाने-पीने में इस बात का रखें ख्याल : स्तनपान कराने वाली माताओं को डाइटिशियन नेहा ने 3/3 का मील लेने की सलाह देती हैं. जिसमें तीन बार हल्का आहार और तीन बार मुख्य भोजन शामिल है. जैसे कि दिन में तीन बार थोड़ा-थोड़ा स्नैक्स ( इनमें फल, मखाने, दाल का सूप और नारियल पानी शामिल हैं) और तीन बार में ब्रेकफास्ट, लंच और डिनर करें. नेहा कहती है कि ऐसे लोगों को ज्यादा समय के लिए भूखे नहीं रहना चाहिए, वरना उन्हें गैस या फिर एसिडिटी की समस्या हो सकती है. जो नन्हे शिशु को भी परेशान कर सकता है.

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कैसे बढ़े दूध की मात्रा :स्तनपान करवाने वाली कई महिलाओं की शिकायत होती है कि उनके दूध की मात्रा की सप्लाई कम हो रही है. डाइटिशियन यदुवंशी का कहना है कि अक्सर माताएं रहती हैं कि वह दिन में तीन बार स्वयं दूध पीती हैं और दूध दलिया भी खाती हैं और इस तरह से वह अपने हाइड्रेशन का ख्याल रखती हैं. जबकि ऐसा नहीं होता है. वास्तविक रूप से किसी भी जननी में दूध की मात्रा उसके हाइड्रेशन लेवल पर निर्भर करती है, कि दिन में पानी पीने के साथ-साथ फ्लूड सही मात्रा में क्या लिया जा रहा है. ऐसा करने पर मिल्क सप्लाई सही रहती है. इसके अलावा पतली खिचड़ी, दाल का सूप, सब्जियों का सूप, नारियल पानी और फ्यूज वायर जैसे तरल पदार्थ का उपयोग कर सकते हैं. बच्चों के पोषण का ख्याल रखते हुए जीरे का पानी, दाना मेथी का पानी, अजवाइन और दालचीनी का पानी भी माता में दूध की सप्लाई की मात्रा को बढ़ाते हैं इसके साथ-साथ पेट की सेहत सुधारने के अलावा और इससे जुड़ी परेशानियों को दूर करते हैं.

खुद के पोषण का भी रखें ख्याल :नेहा यदुवंशी कहती हैं कि दुग्ध पान करवाने वाली महिलाओं को भी अपने पोषण का पूरा ख्याल रखना चाहिए. विशेष रूप से उन्हें रीच प्रोटीन डाइट अपने खान-पान में उपयोग में लानी चाहिए. इसके लिए अंकुरित खाद्य पदार्थों के साथ ही दालें, पनीर, रागी और राजगीरा भी उपयोगी होते हैं. इन सब खाद्य पदार्थों को आप अपनी रोजमर्रा की खान-पान की आदतों में शामिल कर सकते हैं. इसके लिए रोटी को मिलेट्स के रूप में भी भोजन में शामिल किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि रागी, प्रोटीन के अलावा कैल्शियम और आयरन का स्रोत होता है राजगीरा भी प्रोटीन का अच्छा स्रोत होता है, इसके साथ ही यह फाइबर का भी पोषण शरीर को देता है. इनका चिल या चपाती भी आपकी पोषण क्षमता में बढ़ावा करती है और यह है बच्चे की पेट की सेहत के लिए अच्छा साबित होती है.

विश्व स्तनपान सप्ताह 1 अगस्त से लेकर 7 अगस्त (फोटो सोशल मीडिया)

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फलों का उपयोग भी है जरूरी : किसी भी प्रसूता के लिए अच्छे पोषण युक्त भोजन के लिए फलों का उपयोग भी जरूरी होता है. इनमें फलों को भी शामिल किया जा सकता है. विशेष रूप से फल विटामिन ए, बी और सी का अच्छा जरिया होते हैं. इनमें मौसमी फल और अधिक फायदेमंद होते हैं. वे फलों के रस की जगह सीधा उपयोग की सलाह देती है, ताकि शरीर में फाइबर की मात्रा भी बराबर बनी रहे. इसके अतिरिक्त सुख में वह में 8 से 10 बादाम, दो अखरोट, 5 मिनट का दो अंजीर और एक सूखा खजूर भी उपयोग में लाया जा सकता है. इन सूखे मेमन को रात को भिगोने के बाद सुबह का नाश्ता करने के बाद आहार में शामिल किया जा सकता है. दरअसल हर महीने बच्चे के शरीर में नए अंग विकसित होते हैं, इस वजह से उन्हें भी सही मात्रा में पोषण की जरूरत होती है.

दादी नानी के नुस्खे भी कारगर :नेहा यदुवंशी के अनुसार परंपरागत खानपान भी प्रसूता की सेहत में सुधार का जरिया होता है. इसमें गोंद, मेथी और सोंठ के लड्डू भी पोषण की मात्रा को शरीर में पूरा करते हैं. इससे माता के दूध की सप्लाई में भी बढ़ोतरी होती है. साथी वे सलाह देती है कि किसी भी खाने पीने की चीज को संतुलित मात्रा में ही ग्रहण करना चाहिए, अत्यधिक मात्रा शरीर के लिए नुकसानदेह साबित हो सकती है. इसलिए बड़े लड्डू की जगह छोटे लड्डू बनाने चाहिए. इन लड्डुओं को शुरुआती 45 दिनों तक उपयोग में लाया जा सकता है.

इस तरह के खानपान से बचें : स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को क्या खाना है के साथ-साथ क्या नहीं खाना है, का भी ध्यान रखना चाहिए. ऐसी महिलाओं को चाय और काफी कम से कम मात्रा में ग्रहण करनी चाहिए. उनके मुताबिक कैफीन की ज्यादा मात्रा शरीर की पोषक तत्वों का नुकसान करती है या फिर शरीर तक इन्हें पहुंचाने से रोकती है. इसके अलावा प्रोसेस फूड और हाय इंटेक साल्टेड फूड और अधिक मसालेदार भोजन भी नहीं खाना चाहिए.

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