देहरादून:ड्रोन तकनीक ने पिछले कुछ सालों में तेजी से समाज में जगह बनाई है. ऐसे में ड्रोन के जरिए होने वाले अपराधों पर भी साइबर क्राइम पुलिस अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए ड्रोन फॉरेंसिक पर काम कर रही है. जी हां, उत्तराखंड में ड्रोन फॉरेंसिक पर काम किया जा रहा है. ताकि, ड्रोन से होने वाले अपराधों पर लगाम लगाई जा सके.
सुविधा के साथ-साथ अपराध में भी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल:लगातार विकसित होती टेक्नोलॉजी ने जहां एक तरफ इंसानों के कामों को तो बेहद आसान बनाया है तो वहीं दूसरी तरफ टेक्नोलॉजी के बढ़ते इस्तेमाल ने अपराधों को भी डिजिटल किया है. तकनीक के साथ-साथ अपराधों ने भी पारंपरिक तौर तरीकों को छोड़कर टेक्नोलॉजी के साथ ही नए तरीकों के अपराधों को जन्म दिया है. ऐसे में हर उस तरीके का अपराध जिसमें टेक्नोलॉजी शामिल है, उसके लिए साइबर क्राइम लगातार काम करती है.
साइबर क्राइम में मोबाइल फॉरेंसिक एक महत्वपूर्ण पहलू है. जिसमें मोबाइल के माध्यम से अंजाम दिए जाने वाले अपराधों पर नजर रखी जाती है. इसी तरह से अब ड्रोन टेक्नोलॉजी ने भी पिछले कुछ सालों में तेज गति से समाज में अपनी जगह बनाई है. ड्रोन से चालान के साथ ड्रोन से होने वाले अपराधों पर भी अब उत्तराखंड में ड्रोन फॉरेंसिक पर काम किया जा रहा है.
तकनीक के इस्तेमाल से होने वाले अपराधों में साइबर फॉरेंसिक अहम:फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी उत्तराखंड के डायरेक्टर अपर पुलिस महानिदेशक अमित सिन्हा ने बताया कि पिछले कुछ दशकों में जिस तरह से टेक्नोलॉजी ने समाज में अपनी जगह बनाई है. खासतौर पर मोबाइल फोन का इस्तेमाल बढ़ा है, उतनी ही तेजी से अपराधों में भी मोबाइल फोन का इस्तेमाल बढ़ा है. इनको कंट्रोल करने के लिए साइबर क्राइम और फॉरेंसिक लैब में मोबाइल फॉरेंसिक पर काम किया जाने लगा.
अमित सिन्हा ने कहा कि साइबर क्राइम से निपटने के लिए साइबर फॉरेंसिक की अहम भूमिका होती है. उनकी जल्द से जल्द कोशिश है कि साइबर फॉरेंसिक को लेकर वहां एक व्यवस्थित मापदंडों पर कार्य प्रणाली शुरू किया जाए. इसी में मोबाइल फॉरेंसिक के साथ ड्रोन फॉरेंसिक भी इसका एक हिस्सा है.