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महिलाएं पीआईडी बीमारी को न करें इग्नोर, बढ़ सकता है बांझपन का खतरा, जानिए इसके लक्षण - PID Disease

पीआईडी एक महिलाओं से संबंधित बीमारी है. पीआईडी यदि गंभीर स्टेज में पहुंच जाये तो महिलाओं को गर्भवती होने में समस्या हो सकती है. पीआईडी होने पर महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है. आइए जानें कि पीआईडी बीमारी क्या है, पीआईडी क्यों होता है, पीआईडी होने पर किस तरह के लक्षण दिखाई पड़ते हैं और पीआईडी से बचने के लिए किस तरह की सावधानी बरतनी चाहिए.

pelvic inflammatory disease
महिलाओं की पीआईडी बीमारी (ETV Bharat Chhattidgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 20, 2024, 10:51 PM IST

Updated : Aug 20, 2024, 10:59 PM IST

पीआईडी बीमारी के संबंध में डॉक्टर की सलाह (ETV Bharat Chhattidgarh)

रायपुर : पीआईडी यानी पेल्विक इनफर्मेटिव डिजीज, ​बैक्टीरिया की वजह से होने वाला संक्रमण है. यह बीमारी महिलाओं के प्रजनन अंगों को प्रभावित करता है. इस बीमारी की वजह से पैल्विक असुविधा होती है. सीधे शब्दों में कहें तो पेल्विस में जो महिलाओं के अंग होते हैं, जिसमें बच्चेदानी, बच्चेदानी का मुंह, ट्यूब्स और ओवरी शामिल है. इन जगहों पर अगर बीमारी हो जाती है तो उसे पीआईडी कहा जाता है.

क्या है पीआईडी बीमारी : स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने बताया, "पीआईडी होने पर कई बार महिलाओं को पेशाब में जलन की समस्या होती है. सफेद पानी आने लगता है. इसके साथ ही खुजली वगैरह भी होने लगती है. इन पर अगर ध्यान नहीं दिया जाता है तो यह बढ़कर बच्चेदानी के साथ ही ट्यूब्स को प्रभावित कर सकता है. अंडाशय तक पहुंचकर उसके आसपास के अंगों को भी क्षति पहुंचा सकता है. इनफरमेशन होने के साथ ही सूजन आ सकता है. इसे पीआईडी के नाम से जानते हैं."

पीआईडी बीमारी के लक्षण (ETV Bharat Chhattidgarh)

पीआईडी बीमारी के लक्षण :इसके प्राथमिक लक्षणों में खुजली होना, सफेद पानी जाना, जनन अंगों में दर्द होना, पीरियड्स के दौरान दर्द होने के साथ ही संबंध बनाने के समय जो दर्द होने लगता है. पीरियड्स के जाने के बाद भी महिलाओं को कई बार पेट के निचले हिस्से में भी दर्द की शिकायत होती है. इसके साथ ही पीठ में दर्द और खिंचाव भी होने लगता है. पेशाब में जलन होना, पेट को छूने से दर्द होना इस तरह के कई लक्षण देखने को मिलते हैं.

"अगर पीआईडी के लक्षण कुछ दिनों से आ रहे हैं तो इसे अक्यूट पीआईडी कहा जाता है. अगर इसका इलाज नहीं किया जाता है या फिर ये बार-बार होता है तो इसे क्रॉनिक पीआईडी कहा जाता है." - डॉ. सावेरी सक्सेना, स्त्री रोग विशेषज्ञ

संतान हीनता से पीआईडी का कनेक्शन : स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने बताया, "क्रॉनिक पीआईडी होने पर कई तरह के कॉम्प्लिकेशंस पैदा कर सकता है. आगे चलकर ट्यूब्स को इंवॉल्व कर सकता है. ट्यूबस में बार-बार इंफेक्शन होने पर ट्यूब्स काम करना बंद कर देता है, जिसके कारण से बच्चा ना होने की परेशानी या फिर संतान हीनता जैसी समस्या से महिलाएं ग्रसित हो सकती हैं."

पीआईडी के रिस्क फैक्टर (ETV Bharat Chhattidgarh)

पीआईडी के रिस्क फैक्टर : महिलाओं को पीआईडी जिस वजह से होता है, उनमें सफाई का ध्यान ना रखना, छोटे-मोटे इंफेक्शन होने पर इग्नोर कर देना, उनका सही समय पर इलाज न करना, सुरक्षित तरीके से सेक्सुअल प्रेक्टिस ना होना, कंडोम का इस्तेमाल न करना, एक से अधिक के साथ संबंध बनाना, हसबैंड को अगर इंफेक्शन होता है और वह बिना इलाज के संबंध बनाते है तो भी इस तरह की बीमारी हो सकती है. कई बार महिलाओं की इम्युनिटी कम होती है. डाइट का ध्यान ना रखना, डायबिटीज और शुगर जैसी समस्या है तो भी पीआईडी हो सकती है.


नोट : यहां महिलाओं के पीआईडी बीमारी से संबंधित प्रस्तुत सारी जानकारी स्त्री रोग विशेषज्ञ की ओर से बताई गई हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.

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Last Updated : Aug 20, 2024, 10:59 PM IST

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