पटना: नीतीश कुमार को शुरू से ही आधी आबादी का भरपूर सहयोग मिला है. अप्रैल 2016 को शराबबंदी कानून लागू करने के बाद से तो महिलाओं ने नीतीश को अपना हीरो ही मान लिया. नीतीश कुमार भी आधी आबादी को अपने पक्ष में रखने के लिए कोई कोर कसर नहीं छोड़ते हैं और कई योजनाओं के जरिए उनको साधने की जुगत में रहते हैं. नीतीश सरकार की साइकिल पोशाक और छात्रवृत्ति योजना के तहत प्रोत्साहन राशि , महिला आरक्षण इसके कुछ उदाहरण हैं.
कई राज्यों में आधी आबादी को लेकर योजनाएं: पूरे देश में आधी आबादी को साधने के लिए कई राज्यों की ओर से अलग-अलग नाम से महिलाओं के लिए योजना चलाई जा रही है. महिलाओं के लिए चलाई जा रही योजना का विधानसभा चुनाव में असर भी दिखा है. पिछले कुछ चुनाव से आधी आबादी का वोट प्रतिशत भी काफी बढ़ा है.
महिलाओं के साथ संवाद करेंगे नीतीश:बिहार में आधी आबादी का वोट का बड़ा हिस्सा नीतीश कुमार के साथ रहा है. तेजस्वी यादव ने माई बहिन मान योजना शुरू करने की घोषणा की है. इसके तहत हर महीने ढाई हजार रुपए की राशि दी जाएगी. तेजस्वी की इस घोषणा से एनडीए खेमे में खलबली है और अब नीतीश कुमार ने बिहार की साढ़े तीन करोड़ महिला वोटर में से 2 करोड़ के साथ संवाद करने का फैसला लिया है.
"तेजस्वी यादव की घोषणा से नीतीश कुमार बेचैन हैं. क्योंकि महिलाओं के लिए उन्होंने कुछ किया नहीं है और इसलिए अब संवाद करने की कोशिश हो रही है लेकिन उसका लाभ मिलने वाला नहीं है."- एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी
सीधे खाते में पैसा डालने का चुनाव में असर: ग्रामीण विकास विभाग जीविका के माध्यम से इसे सफल बनाने में लगा है 15 जनवरी से 2 महीने तक यह योजना चल सकती है. देश में आधी आबादी के लिए राज्य सरकारों की ओर से चलाई जा रही योजना चर्चा में है जिसके तहत 18 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं के खाते में सीधे राशि राज्य सरकार भेज रही है. पिछले कुछ सालों से आधी आबादी के खाते में सीधे राशि डालने की योजना का असर विधानसभा चुनाव में दिखने लगा है.
चुनाव से महिलाओं को मिल सकता है बड़ा तोहफा: कुछ प्रमुख योजनाएं जो चुनाव से ठीक पहले शुरू की गई, उसका चुनाव में सीधा असर देखने को मिला है. जिसकी काफी चर्चा हो रही है और आने वाले विधानसभा चुनाव जो दिल्ली और बिहार में होने वाले हैं, वहां भी योजना शुरू करने की चर्चा हो रही है.
"नीतीश कुमार ने महिला सशक्तिकरण के लिए जितना काम किया है, आज महिला का वोट नीतीश कुमार के साथ है. नीतीश कुमार के चेहरे पर ही 70% वोट एनडीए गठबंधन को मिलता है."- महेश्वर हजारी, सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री, बिहार सरकार
पश्चिम बंगाल में लक्ष्मी भंडार योजना:ममता बनर्जी ने 25 से 60 साल की उम्र की महिलाओं की मदद के लिए यह योजना शुरू की है जिसमें अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को हर महीने ₹1200 और अन्य महिलाओं को ₹1000 की मदद मिलती है. ममता बनर्जी ने 2021 में इस योजना की शुरुआत की थी. चुनाव में इसका काफी लाभ मिला.
मध्य प्रदेश में लाडली बहन योजना:मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लाडली बहन योजना शुरू की थी. 2023 में विधानसभा चुनाव से 6 महीने पहले यह योजना शुरू की गई थी. इसके तहत महिलाओं को राज्य सरकार हर महीने 1250 रुपया उनके खाते में भेजती है. इस योजना का लाभ विधानसभा चुनाव में बीजेपी को मिला. एंटीकबेंसी के बावजूद भाजपा की सरकार बन गई.
झारखंड में मईंया सम्मान योजना:झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार 21 साल से 50 साल की महिलाओं को मईंया सम्मान योजना के तहत ₹1000 की राशि देती थी. 2024 विधानसभा चुनाव में राशि बढ़ाकर ढाई हजार करने की घोषणा की गई और 18 से 50 साल की महिलाओं को इसका लाभ देने की बात भी कही गई. इसका असर विधानसभा चुनाव में भी दिखा. झारखंड में भी एग्जिट पोल में हेमंत सोरेन की सरकार जाती हुई दिख रही थी लेकिन इस योजना का असर रहा कि सरकार प्रचंड बहुमत के साथ बन गई.
महाराष्ट्र में लाडकी बहिन योजना:महाराष्ट्र में महिलाओं को जून 2024 से इस योजना के तहत 1500 राशि दी जा रही है. विधानसभा चुनाव में जबरदस्त असर हुआ. बीजेपी के नेतृत्व में महायुति गठबंधन की सरकार बन गई. यहां भी बीजेपी की नेतृत्व वाली गठबंधन को प्रचंड बहुमत मिला.
दिल्ली में महिला सम्मान योजना:दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना की घोषणा की. दिल्ली में रहने वाली 18 साल या उससे ज्यादा उम्र की सभी महिलाओं को हर महीने ₹1000 राशि दिल्ली सरकार देगी. इस राशि को बढ़ाकर चुनाव के बाद 2100 कर दिया जाएगा. दिल्ली में इस साल चुनाव होना है और इसको लेकर काफी विवाद भी हो रहा है.
"मकसद आधी-आबादी का वोट हासिल करना है, क्योंकि नीतीश कुमार को डर है 2020 चुनाव में जदयू 43 सीट पर आ गई थी. इस बार कोई चूक ना हो. कई राज्यों में आधी आबादी के लिए जो योजना चलाई गई, उसका सीधा असर भी चुनाव में दिखा है."-अरुण पांडे, राजनीतिक विशेषज्ञ