पलामूः महिलाओं का एक ऐसा समूह जो नक्सल प्रभावित इलाके में खेती में बदलाव की वाहक बना है. यह समूह किसानों को वैज्ञानिक तरीके से खेती करने के लिए प्रेरित कर रहा है और बिचौलियों से किसानों को बचा रहा है. महिलाओं का यह समूह किसानों के उत्पाद को सीधे तौर पर खरीदारी कर रहा है और उत्पाद के लिए बाजार भी तैयार कर रहा है.
पलामू के इलाके में खेती करना बड़ी चुनौती है. यह इलाका देश में नक्सली हिंसा और कम बारिश के लिए चर्चित है. इस इलाके में महिलाओं का 140 उत्पादक समूह सक्रिय है, एक-एक समूह में 40 से 80 तक महिलाएं जुड़ी हुई हैं. ये महिलाएं उत्पादक किसानों से सीधे तौर पर संपर्क कर रही है. किसानों को गैर-परंपरागत खेती से जोड़ रही हैं साथ ही साथ उनके उत्पाद को भी खरीद रही हैं. किसानों से खरीदे गए उत्पाद को झारखंड लाइवलीहुड हुड प्रमोशन सोसाइटी के पलाश मार्ट के माध्यम से बेचा जा रहा है जबकि किसानों के कई उत्पाद को महिलाएं खरीद रही हैं और बाजार में बेच रही हैं. महिलाएं किसान को बिचौलियों से बचाने के लिए बाजार दर पर उत्पाद को खरीदती है.
महिला समूह कर रहा दलहन और मोटे अनाज का कारोबार
महिलाओं का यह समूह दलहन और मोटे अनाज का कारोबार कर रहा है. दलहन और मड़ूआ को महिलाएं सीधे तौर पर किसानों से खरीद रही हैं. महिलाएं दाल और आटा को तैयार कर बाजार में पलाश मार्ट के माध्यम से बेच रही हैं. सरसों की फसल से तेल तैयार किया जा रहा है और सरसों को बेचा भी जा रहा है. वहीं मक्का केी फसल से चारा तैयार कर राजस्थान, हरियाणा, पंजाब समेत कई इलाकों में भेजा जा रहा है.
पलामू के सतबरवा की महिला किसान ममता देवी ने बताया कि उनका उत्पादक समूह है. इस समूह के माध्यम से वे किसानों से फसलों को खरीदती हैं और बाजार में बेचती हैं. रूबी देवी ने बताया कि वह बाजार दर पर किसानों से फसलों को खरीदती हैं उसके बाद उत्पाद को तैयार कर बाजार में बेचती है. कई बार बाजार दर पर फसल खरीदने के बाद उन्हें स्टॉक किया जाता है और कीमत बढ़ने पर उन्हें बाजार में बेचा जाता है.