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29 नवंबर से शुरू होगा दिल्ली विधानसभा का 'शीतकालीन सत्र', प्रश्नकाल न होने पर विपक्ष ने उठाए सवाल

-विपक्ष ने की सत्र में प्रश्नकाल रखने की मांग. -विपक्ष का आरोप यह संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन.

दिल्ली विधानसभा शीतकालीन सत्र
दिल्ली विधानसभा शीतकालीन सत्र (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : 4 hours ago

नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा का सत्र 29 नवंबर से शुरू होने जा रहा है. इस सत्र में भी प्रश्नकाल नहीं रखे जाने पर विपक्ष ने ऐतराज जताया है. इससे पहले सितंबर माह में जब दो दिनों के लिए सत्र बुलाया गया था, तब भी प्रश्नकाल न होने से विपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर अपनी मांग रखी थी. विधानसभा में नेता विपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने आगामी 29 नवंबर से शुरू होने जा रहे 'शीतकालीन सत्र' में प्रश्नकाल रखने की मांग की है. उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल को इस संबंध में पत्र भी लिखकर कहा है कि इस साल जितने भी सत्र रखे गए, उनमें से किसी एक में भी 'प्रश्नकाल' का प्रावधान नहीं रखा गया. लोकतांत्रिक प्रणाली में विधानसभा के सत्रों में प्रश्नकाल का न रखना जनप्रतिनिधियों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है.

विधानसभा सचिवालय से मिली जानकारी के अनुसार, सातवीं विधानसभा के पांचवें सत्र के रूप में 29 नवंबर से शुरू होने जा रहे 'शीतकालीन सत्र' में आम आदमी पार्टी की सरकार ने प्रश्नकाल का प्रावधान नहीं रखा है. इसपर बीजेपी विधायक अजय महावर ने कहा कि विधायक अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की समस्याओं के प्रति उत्तरदायी होते हैं. सदन ही एक ऐसा मंच है, जिसके माध्यम से सभी विधायक प्रश्नकाल में अपने अपने क्षेत्र की समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करते हैं और उसके समाधान की मांग करते हैं.

सत्र को लेकर दी गई सूचना (ETV BHARAT)

विपक्ष ने की ये मांग:उन्होंने कहा कि अगर सत्र में प्रश्नकाल ही नहीं रखा जाएगा तो विधायक अपनी समस्याओं को कैसे सरकार के सामने उठाएंगे. इसके अलावा हमने अल्पावधिक चर्चा और ध्यानाकर्षण प्रस्तावों को भी विधानसभा की कार्यवाही में शामिल करने और इसमें विधायकों की सहभागिता सुनिश्चित करने का भी आग्रह किया है. विपक्ष ने विधानसभा अध्यक्ष से मांग की है कि वह लोकतांत्रिक भावनाओं और व्यवस्थाओं का सम्मान करते हुए विधानसभा सत्र में प्रश्नकाल का प्रावधान सुनिश्चित कराएं, ताकि जनप्रतिनिधि के रूप में सदन में उपस्थित सभी विधायकों को अपने-अपने क्षेत्र की समस्याओं को सदन के समक्ष उठाने का अवसर मिल सके. इससे पहले 26 सितंबर को विधानसभा का सत्र बुलाया गया था, जिसमें मुख्यमंत्री बनने के बाद आतिशी ने हिस्सा लिया था.

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