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झारखंड में क्या फिर बदलेगा मुख्यमंत्री का चेहरा! कल्पना सोरेन के गांडेय उपचुनाव लड़ने से छिड़ी बहस, क्या कहते हैं राजनीति के जानकार - Will Face Of Cm Change In Jharkhand - WILL FACE OF CM CHANGE IN JHARKHAND

गिरिडीह के गांडेय में उपचुनाव के लिए कल्पना सोरेन का नाम फाइनल कर दिया गया है. ऐसे में अब बहस छिड़ गई है कि क्या झारखंड को एक नया सीएम मिलने जा रहा रहा है. क्या है इसपर एक्सपर्ट्स की राय जानिए इस रिपोर्ट में.

WILL FACE OF CM CHANGE IN JHARKHAND
WILL FACE OF CM CHANGE IN JHARKHAND

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Mar 22, 2024, 5:41 PM IST

रांची:31 जनवरी 2024 को हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद झारखंड की राजनीति का रंग चंपाई हो गया है. सत्ता की कमान सोरेन परिवार के हाथ निकलकर चंपाई सोरेन के हाथ में चली गई है. लेकिन इसकी डोर अभी भी सोरेन परिवार के पास ही है. क्योंकि ऐसा न होता तो चंपाई सोरेन सत्ता संभालने के 50 दिन के भीतर दो बार हेमंत सोरेन से मिलने जेल नहीं गए होते.

सीएम नीतीश कुमार ने जीतन राम मांझी को सौंपी थी सत्ता

सभी जानते हैं कि सत्ता में सोच बदलने की ताकत होती है. सत्ता महत्वाकांक्षा पैदा करती है. ऐसा उदाहरण बिहार में दिख चुका है जब नीतीश कुमार ने अपने सबसे भरोसेमंद जीतन राम मांझी को सीएम की कुर्सी सौंपी थी. आज जीतन राम मांझी 'हम' नामक अपनी अलग पार्टी चला रहे हैं. इस उदाहरण की चर्चा इसलिए क्योंकि गांडेय उपचुनाव के मैदान में हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन सक्रिय हो गई हैं.

कल्पना को सत्ता सौंपने की हुई थी बात

अब सवाल है कि अगर कल्पना सोरेन चुनाव जीत जाती हैं तो क्या वह सिर्फ एक विधायक की भूमिका में रहेंगी? क्योंकि 31 जनवरी को हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के ठीक एक दिन पहले हुई विधायक दल की बैठक में पहली बार कल्पना सोरेन नजर आईं थी. तब जोर-शोर से चर्चा हुई थी कि अगर हेमंत सोरेन गिरफ्तार होते हैं तो कल्पना सोरेन को सत्ता सौंप दी जाएगी.

चंपाई सोरेन बने सीएम

हालांकि, माहौल बनने से पहले ही भाजपा ने इस बात को हवा दे दी थी कि जिस राज्य में एक साल के भीतर चुनाव होना है, वहां उपचुनाव नहीं हो सकता. ऊपर से सोरेन परिवार की बड़ी बहू सीता सोरेन ने कल्पना के नाम पर बगावत के स्वर तेज कर पार्टी को दुविधा में डाल दिया था. संभव है कि इसी दबाव की वजह से हेमंत सोरेन को अपने सेकेंड च्वाइस के रूप में चंपाई सोरेन के नाम को आगे करना पड़ा.

क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार

वरिष्ठ पत्रकार मधुकर का कहना है कि हेमंत सोरेन की ये मंशा उसी दिन जाहिर हो गई थी, जब सरफराज अहमद ने गांडेय सीट से इस्तीफा दिया था. स्पीकर ने उसी दिन इस्तीफा स्वीकार भी कर लिया था. लेकिन हेमंत की यह रणनीति काम नहीं आई. अब हेमंत सोरेन सीएम का चेहरा बदलने का रिस्क उठाएंगे, ऐसा नहीं लगता. क्योंकि ऐसा करने से उन पर अवसरवादी होने का आरोप लग जाएगा. ऊपर से नाराज चल रहे लोबिन हेंब्रम को सवाल उठाने का मौका मिल जाएगा.

पार्टी बिखरने का खतरा

मधुकर कहते हैं कि हेमंत सोरेन यह भी समझते होंगे कि अगर वह कल्पना सोरेन को आगे करते हैं तो कहीं चंपाई सोरेन ना बिदक जाएं. अगर ऐसा हुआ तो पार्टी बिखर जाएगी. क्योंकि खराब स्वास्थ्य के कारण शिबू सोरेन अब फेविकॉल की भूमिका निभाने वाली स्थिति में नहीं हैं.

पावर सिस्टम में बैलेंस

वरिष्ठ पत्रकार मधुकर का मानना है कि कल्पना सोरेन को अब इसलिए गांडेय उपचुनाव में उतारा जा रहा है, ताकि पावर सिस्टम में बैलेंस बनाया जा सके. कल्पना चुनाव जीत जाती हैं तो वह चंपाई सोरेन यानी सरकार और हेमंत सोरेन के बीच एक ब्रिज का काम करेंगी. लिहाजा, सीएम का चेहरा बदलने की संभावना नहीं दिख रही है.

क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार

वरिष्ठ पत्रकार आनंद कुमार का मानना है कि सत्ता हमेशा महत्वाकांक्षा को जन्म देती है. हेमंत सोरेन को मजबूरी में चंपाई सोरेन को कुर्सी देनी पड़ी थी. अगर चंपाई सोरेन के नाम पर ही सत्ता चलाना है तो फिर गांडेय सीट से कल्पना सोरेन को उपचुनाव लड़ाने की क्या जरूरत है. गिरफ्तारी की संभावना को देखते हुए उन्होंने कल्पना सोरेन के लिए ही सरफराज अहमद से गांडेय सीट खाली करवाई थी. लिहाजा, पूरी संभावना है कि कल्पना सोरेन के उपचुनाव जीतने पर झारखंड में सीएम का चेहरा बदल जाएगा.

कल्पना सोरेन के हाथ में सत्ता देने की कवायद

आनंद कुमार कहते हैं ऐसा नहीं करना होता तो चंपाई कैबिनेट में बसंत सोरेन को जगह नहीं मिली होती. रही बात कि ऐसा होने पर चंपाई सोरेन कहीं बागी तो नहीं बन जाएंगे. इसका सीधा सा जवाब है नहीं. क्योंकि चंपाई सोरेन में लीडरशिप क्वालिटी नहीं है. वह खुद बहुत कम वोट के अंतर से अपनी सीट बचाते आ रहे हैं. उनके साथ पार्टी के दूसरे विधायकों का भी जुड़ाव नहीं है. उनकी राजनीति सिर्फ कोल्हान तक ही सीमित है. लिहाजा, साफ है कि कल्पना सोरेन के हाथ में सत्ता देने के लिए ही सारी कवायद चल रही है.

ये तो हुई झारखंड की राजनीति को बारीकी से समझने वालों की राय. लेकिन पार्टी के भीतर इस बात की चर्चा है कि कल्पना सोरेन के जीतने के बाद अगर चंपाई सोरेन को हटाकर उनको मुख्यमंत्री बना दिया जाता है तो जनता में गलत मैसेज जा सकता है. दूसरी ओर एक धड़ा ऐसा भी है जो चाहता है कि कल्पना सोरेन को कमान मिलनी चाहिए ताकि पार्टी पर सोरेन परिवार का एक मजबूत नियंत्रण बना रहे. बहरहाल, इस सवाल का सही जवाब 4 जून को उपचुनाव का परिणाम आने के बाद ही मिल पाएगा.

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