रायपुर:22 जनवरी का दिन देश के इतिहास में अमिट हो गया. 500 सालों बाद श्री रामलला अपने दरबार में विराजे. देश और दुनिया में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर भव्य आयोजन किए गए. अयोध्या से लेकर रामेश्वरम तक, केदार नाथ से लेकर द्वारका तक रामजी के आगमन का लोगों ने भव्य स्वागत किया. गांव की गलियों से लेकर शहरों के चौक चौराहे तक दीये की रोशनी से गुलजार हुए.
क्यों है भगवान श्री राम की मूर्ति का रंग काला, जानिए इसके पीछे का रहस्य !
Shri Ram idol black 22 जनवरी 2024 की तारीख देश और दुनिया के इतिहास में अमिट हो गया. 500 सालों के लंबे इंतजार के बाद राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हुई और श्री राम अपने दरबार में विराजे. कुछ लोगों के मन ये सवाल भी उठा कि आखिर प्रभु श्री राम की मूर्ति श्यामल वर्ण में ही क्यों बनाई गई. Lord Ram arrives in Ayodhya
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Jan 22, 2024, 6:38 PM IST
|Updated : Jan 22, 2024, 7:34 PM IST
काले पत्थर से क्यों बनी राम जी की मूर्ति:मान्यता है कि श्री राम और श्री कृष्ण का रंग श्यामल वर्ण का था. भगवान के श्यामल वर्ण का वर्णन वेद पुराणों और किस्से कहानियों में भी मिलते हैं. तिरुपति में भी भगवान की मूर्ति का रंग श्यामल वर्ण का है. साइंस भी ये मानता है कि काले रंग के जो पत्थर होते हैं उसकी आयु हजारों साल की होती है. काले पत्थर से बनी मूर्तियों में हजारों साल बाद भी बदलाव नहीं होता. काले पत्थर न सिर्फ मजबूत होते हैं बल्कि उनकी आयु भी काफी लंबी होती है. श्यामल वर्ण की मूर्ति का जिक्र कृष्ण शिला के रुप में भी मिलता है. पूजा पाठ के दौरान भक्त अक्सर प्रतिमा को अक्षत, रोली चंदन आदि लगा देते हैं. भक्त भगवान की प्रतिमा का दूध से अभिषेक भी करते हैं. कृष्ण शिला की ये खासियत होती है कि वो अपना गुण बनाए रखती है और केमिकल युक्त रोली चंदन दूध आदि से भी उसे नुकसान नहीं होता.
पुजारियों का क्या है मत: धर्म के ज्ञाता और मंदिरों में भगवान की सेवा करने वाले पुजारी भी श्यामल वर्ण को शुभ मानते हैं. रायपुर के पुजारी जितेंद्र शर्मा कहते हैं कि जिस काले पत्थर से भगवान श्री राम की मूर्ति बनाई गई है उसमें भगवान के 24 अवतारों का वर्णन है. श्यामल वर्ण के श्रीराम की मूर्ति के सामने जाते ही सारी नाकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है. कृष्ण शिला के दर्शन मात्र से सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होने लगती है.