लोहरदगा: विधानसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल सीटों पर अपनी-अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं. जिन सीटों को लेकर गठबंधन के तहत पिछले चुनाव में प्रत्याशी उतारे गए थे, इस चुनाव में भी कुछ वैसी ही तस्वीर की उम्मीद लोगों को थी, परंतु अभी तक जो स्थिति दिखाई दे रही है. उसमें यही लग रहा है कि इस पर लोहरदगा विधानसभा सीट में दावेदारी को लेकर मारामारी की स्थिति है. सभी प्रमुख राजनीतिक दल लोहरदगा विधानसभा सीट से अपना प्रत्याशी उतारने को लेकर तैयार हैं. यहां तक कि गठबंधन की तस्वीर भी यहां पर स्पष्ट दिखाई नहीं दे रही है.
सुखदेव ने बदला था पाला
साल 2019 के विधानसभा चुनाव में लोहरदगा विधानसभा सीट पर चुनाव परिणाम बेहद रोचक रहा था. कह सकते हैं कि पूरा चुनाव ही काफी रोचक था. इसके पीछे की वजह यह थी कि वर्तमान में कांग्रेस के लोहरदगा लोकसभा क्षेत्र के सांसद और कांग्रेस के दिग्गज नेता सुखदेव भगत ने साल 2019 में लोहरदगा विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. चुनाव से ठीक पहले वह भाजपा में शामिल हो गए थे.
हालांकि इस चुनाव में सुखदेव भगत को हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वर्तमान में झारखंड सरकार के मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव सुखदेव भगत के खिलाफ चुनाव मैदान में थे. रामेश्वर उरांव को इस चुनाव में 74380 वोट मिले थे. जबकि सुखदेव भगत को 44230 वोट मिले थे. इस चुनाव में तीसरी पोजीशन पर आजूस पार्टी की उम्मीदवार और पूर्व विधायक कमल किशोर भगत की पत्नी नीरू शांति भगत थी.
नीरू शांति भगत को 39916 वोट मिले थे. कुल मिलाकर साल 2019 के चुनाव में लोहरदगा विधानसभा सीट से 12 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे. इस बार तस्वीर अलग है. रामेश्वर उरांव चुनाव मैदान में दिखाई दे रहे हैं. हालांकि सुखदेव भगत वापस कांग्रेस में लौट चुके हैं. भाजपा और आजसू के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर अभी तक कुछ तय नहीं हो पाया है. कांग्रेस और झामुमो द्वारा चुनाव लड़ने को लेकर भी सीटों की घोषणा अभी तक हुई नहीं है.
लोहरदगा विधानसभा सीट में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस पार्टी, झारखंड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल, आजसू पार्टी और अन्य दलों की ओर से भी चुनाव को लेकर एक सुगबुगाहट दिखाई दे रही है. तस्वीर बिल्कुल धुंधली है. मतदाता भी अभी तक कंफ्यूज नजर आ रहे हैं. किसी को कुछ समझ में नहीं आ रहा कि इस विधानसभा सीट पर कौन सा राजनीतिक दल चुनाव मैदान में उतरने वाला है. इसके पीछे की वजह यह है कि सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी ओर से तैयारी कर रहे हैं. न सिर्फ चुनावी रणनीति तैयार की जा रही है, बल्कि यहां से प्रत्याशी उतारने को लेकर अपनी दावेदारी भी प्रस्तुत कर रहे हैं.
पिछले चुनाव परिणाम की दे रहे दुहाई